प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने परिवारवाद पर निशाना साधते हुए सोमवार को कहा कि कुछ लोगों के लिये विरासत का मतलब उनका परिवार और उसका नाम है, मगर हमारा ध्यान देश की विरासत को बचाने और उसे संरक्षित करने पर है. अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के एक दिवसीय दौरे पर शाम को 'देव दीपावली' उत्सव का आगाज करते हुए मोदी ने कहा ''सौ साल से भी पहले माता अन्नपूर्णा की जो मूर्ति काशी से चोरी हो गई थी वह फिर वापस आ रही है. काशी के लिए यह बड़े सौभाग्य की बात है. हमारे देवी-देवताओं की यह प्राचीन मूर्तियां हमारी आस्था की प्रतीक के साथ ही हमारी अमूल्य विरासत भी हैं. इतना प्रयास अगर पहले किया गया होता तो ऐसी न जाने कितनी ही मूर्तियां देश को काफी पहले वापस मिल जाती, लेकिन कुछ लोगों की सोच अलग रही है.''
कुछ लोगों के लिए विरासत मतलब परिवार
उन्होंने परिवारवाद पर निशाना साधते हुए कहा, ''हमारे लिए विरासत का मतलब है देश की धरोहर जबकि कुछ लोगों के लिए विरासत का मतलब होता है अपना परिवार और अपने परिवार का नाम. हमारे लिए विरासत का मतलब है हमारी संस्कृति, हमारी आस्था और हमारे मूल्य, मगर उनके लिए विरासत का मतलब है अपनी प्रतिमाएं अपने परिवार की तस्वीरें. उनका ध्यान परिवार की विरासत को बचाने में रहा है जबकि हमारा ध्यान देश की विरासत को बचाने और उसे संरक्षित करने पर है.''
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पाकिस्तान और चीन पर पीएम मोदी ने साधा निशाना
मोदी ने इस अवसर पर देश की रक्षा में अपनी शहादत देने वाले जवानों को नमन करते हुए कहा कि चाहे सीमा पर घुसपैठ की कोशिशे हो, विस्तारवादी ताकतों का दुस्साहस हो या फिर देश के भीतर देश को तोड़ने की कोशिश करने वाली साजिशे हो, भारत आज सब का जवाब दे रहा है और मुंह तोड़ जवाब दे रहा है.''
गंगा की लहरों में यह प्रकाश इस आभा को और भी अलौकिक बना रहा है
प्रधानमंत्री ने 'वोकल फॉर लोकल' का नारा दोहराते हुए कहा कि इस बार दीवाली में जिस प्रकार देश के लोगों ने स्थानीय उत्पादों के साथ त्योहार मनाया, वह वाकई प्रेरणादाई है लेकिन यह सिर्फ त्योहार के लिए नहीं यह हमारी जिंदगी का हिस्सा भी बनना चाहिए. मोदी ने देव दीपावली के आयोजन में शिरकत पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, ''आज जब काशी की विरासत वापस लौट रही है तो ऐसा भी लग रहा है जैसे काशी माता अन्नपूर्णा के आगमन की खबर सुनकर सजी-संवरी हो. लाखों दीपों से काशी के 84 घाटों का जगमग होना अद्भुत है. गंगा की लहरों में यह प्रकाश इस आभा को और भी अलौकिक बना रहा है.''
भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर दैत्य का अंत किया
उन्होंने कहा, ''आज हम जिस देव दीपावली के दर्शन कर रहे हैं इसकी प्रेरणा पहले पंचगंगा घाट पर स्वयं आदि शंकराचार्य जी ने दी थी. बाद में अहिल्याबाई होल्कर जी ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया. कहते हैं कि जब त्रिपुरासुर नामक दैत्य ने पूरे संसार को आतंकित कर दिया था तब भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन उसका अंत किया था. आतंक, अत्याचार और अंधकार के उस अंत पर देवताओं ने महादेव की नगरी में आकर दीये जलाकर दिवाली मनाई थी. देवों की वह दीपावली ही देव दीपावली है.''
गुरु नानक देव जी ने तो अपना पूरा जीवन ही गरीब शोषित वंचित की सेवा में समर्पित किया था
प्रधानमंत्री ने गुरु पर्व पर गुरुनानक देव को भी याद करते हुए कहा, ''गुरु नानक देव जी ने तो अपना पूरा जीवन ही गरीब शोषित वंचित की सेवा में समर्पित किया था. काशी का तो गुरु नानक देव जी से भी संबंध रहा है. उन्होंने एक लंबा समय काशी में व्यतीत किया था. काशी का गुरूबाग गुरुद्वारा तो उस ऐतिहासिक पल का साथी है, जब गुरु नानक जी यहां पधारे थे और काशी वासियों को नई राह दिखाई थी.''
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रिफॉर्म्स के बहुत बड़े प्रतीक तो स्वयं गुरु नानक देव जी ही थे
पीएम ने कहा कि आज हम रिफॉर्म्स की बात करते हैं, लेकिन समाज और व्यवस्था में रिफॉर्म्स के बहुत बड़े प्रतीक तो स्वयं गुरु नानक देव जी ही थे. हमने ये भी देखा है कि जब समाज, राष्ट्रहित में बदलाव होते हैं तो जाने-अनजाने विरोध के स्वर जरूर उठते हैं. लेकिन जब उन सुधारों की सार्थकता सामने आने लगती है तो सबकुछ ठीक हो जाता है. यही सीख हमें गुरुनानक देवजी के जीवन से मिलती है.
मोदी विशेष क्रूज के जरिये डुमरी घाट से ललिता घाट गये
प्रधानमंत्री अपने एक दिवसीय काशी दौरे पर कई अन्य कार्यक्रमों में भी शरीक हुए. मोदी विशेष क्रूज के जरिये डुमरी घाट से ललिता घाट गये. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की और काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर परियोजना की कार्यप्रगति का मुआयना भी किया. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ थे. उसके बाद प्रधानमंत्री राजघाट पहुंचे और दीया जलाकर बनारस की विश्वप्रसिद्ध देव दीपावली का आगाज किया. साथ ही 'पावन पथ वाराणसी.इन' वेब पोर्टल की शुरुआत भी की. कार्तिक पूर्णिमा को मनायी जाने वाली इस देव दीपावली पर गंगा के दोनों किनारों पर 11 लाख दीप जलाये गये.
Source : Bhasha/News Nation Bureau