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UP उपचुनाव में फंस सकती है BJP की ये सीट! क्या कोई खेल कर पाएगी योगी सरकार?

मझवां विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में सभी दलों के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों हैं. बीजेपी को अपनी लीड को बढ़ाने के लिए नये समीकरण और रणनीतियां अपनानी होंगी. वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को भी अपनी रणनीतियों को मजबूती से लागू करना होगा.

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Ritu Sharma
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यूपी पॉलिटिक्स( Photo Credit : News Nation )

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UP Vidhan Sabha By Election 2024: देशभर में लोकसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अब सभी की निगाहें विधानसभा चुनाव पर टिक गई हैं. उत्तर प्रदेश की मीरजापुर स्थित मझवां विधानसभा सीट इस समय चर्चा का केंद्र बनी हुई है. इस सीट से निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले डॉक्टर विनोद कुमार बिंद अब संसद पहुंच चुके हैं. वह भदोही लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए हैं. उनके संसद पहुंचने के बाद अब मझवां विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना तय है.

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पिछला चुनाव और उपचुनाव की तैयारी

आपको बता दें कि साल 2022 में मझवां विधानसभा सीट पर डॉक्टर विनोद कुमार बिंद ने समाजवादी पार्टी के रोहित शुक्ला को 33,487 वोटों से हराया था. बसपा की उम्मीदवार पुष्प लता को इस सीट पर 52,990 वोट मिले थे. यह सीट मीरजापुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आती है, जहां से अपना दल सोनेलाल की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल तीसरी बार सांसद चुनी गई हैं.

एनडीए के लिए चुनौतियां

हालांकि, आगामी उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिए आसान नहीं होगा. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सहयोगी निषाद पार्टी को इस सीट पर 33,000 से अधिक मतों की लीड मिली थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में विधानसभा वार आंकड़े सामने आने पर यह अंतर घटकर केवल 2,000 रह गया है. इस स्थिति में एनडीए के लिए अपना परचम लहराना मुश्किल हो सकता है.

कांग्रेस की स्थिति और जातीय समीकरण

इसके साथ ही आपको बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भी इस सीट पर उम्मीदवार उतारा था, लेकिन उसे केवल 3,399 मत ही मिल पाए थे. कुल मिलाकर, 2,45,931 लोगों ने नोटा समेत 15 अलग-अलग प्रत्याशियों को वोट दिया था. इस सीट के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो यहां दलित, ब्राह्मण और बिंद समुदाय की संख्या लगभग 60,000-60,000 है. इसके अलावा, कुशवाहा 30,000, पाल 22,000, राजपूत 20,000, मुस्लिम 22,000 और पटेल 16,000 हैं.

वहीं आपको बता दें कि 1960 में अस्तित्व में आई इस सीट पर ब्राह्मण, दलित और बिंद बिरादरी का प्रमुख प्रभाव है. यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी और उसके सहयोगी दल ऐसा कौन सा नया समीकरण तैयार करते हैं जिससे लोकसभा चुनाव में घटी उनकी लीड भी कवर हो सके और सीट भी उनके खाते में आ सके.

आगामी रणनीतियों की तैयारी

इसके साथ ही आपको बता दें कि एनडीए को इस उपचुनाव में जीत दर्ज करने के लिए नए समीकरण और रणनीतियां अपनानी होंगी. उन्हें जातीय समीकरणों का बारीकी से विश्लेषण करना होगा और उन मुद्दों को उठाना होगा जो स्थानीय जनता के लिए महत्वपूर्ण हैं. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भी अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं, जिससे यह मुकाबला और भी रोचक हो गया है.

HIGHLIGHTS

  • UP उपचुनाव में फंस सकती है BJP की ये सीट! 
  • 2 साल में आ गया 31,000 वोट का अंतर
  • क्या कोई खेल कर पाएगी योगी सरकार?

Source : News Nation Bureau

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