प्रवासी श्रमिकों के लिये बसों के संचालन को लेकर मंगलवार को कांग्रेस और उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के बीच रस्साकशी और आरोप—प्रत्यारोप का दौर चरम पर पहुंच गया. कांग्रेस द्वारा सौंपी गयी 1000 बसों की सूची में अनेक वाहनों के नम्बर दोपहिया, तिपहिया वाहनों और कारों के नाम दर्ज होने को लेकर राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री दिन भर कांग्रेस पर हमलावर रहे. दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने इसे झूठ बताते हुए भ्रम फैलाने वालों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने को कहा. साथ ही कांग्रेस, यह सवाल लिये खड़ी रही कि क्या सरकार को प्रवासी मजदूरों की परेशानियों से ज्यादा गाड़ियों के कागजात की फिक्र है, जबकि वह खुद वाहनों के प्रपत्रों को लेकर 30 जून तक छूट दे चुकी है.
सरकार ने बसों के गलत नम्बरों के मामले में देर शाम प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू तथा अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में परिवहन अधिकारी आरपी त्रिवेदी की शिकायत पर राजधानी स्थित हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया. हालांकि कांग्रेस ने इसका जवाब देने की कोशिश करते हुए प्रदेश सरकार को गत दो अप्रैल का एक कथित आदेश दिखाया और कहा कि वाहनों के फिटनेस तथा अन्य कागजात को लेकर सरकार ने आगामी 30 जून तक छूट दे रखी है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के निजी सचिव संदीप सिंह ने राज्य सरकार को आज दो बार पत्र लिखकर बसों को प्रदेश की सीमा में दाखिल होने की अनुमति देने का अनुरोध किया.
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वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और पार्टी के अन्य पदाधिकारी राजस्थान से लायी गयी लगभग 700 बसें लेकर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र ऊंचा नागला में खड़े रहे, मगर प्रशासन ने उन्हें आगरा में घुसने की इजाजत नहीं दी. कांग्रेस ने देर शाम एक बयान में बताया कि कल ही बसों को अनुमति देने वाली राज्य सरकार ने सीमा पर पहुंचने के बाद बसों को आगे नहीं ले जाने दिया. इसे लेकर दिन भरी चली तनातनी के बाद आगरा पुलिस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं प्रदीप माथुर और विवेक बंसल को हिरासत में ले लिया. श्रमिकों को ले जाने के लिये लगभग 700 बसें राजस्थान से लायी गयी थीं.
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ये बसें गाजियाबाद और नोएडा जानी थीं, मगर अनुमति नहीं मिलने पर वे वापस चली गयीं. इसके पूर्व, कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान घरों को जा रहे प्रवासी श्रमिकों की स्थिति पर राजनीति करने का आरोप मढ़ने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने हालांकि सोमवार को औपचारिक रूप से कांग्रेस की पेशकश स्वीकार कर ली थी. सरकार ने कांग्रेस से कहा कि वह बसों, उसके ड्राइवरों और कंडक्टरों की सूची सौंपे, मगर, गतिरोध यहीं नहीं दूर हुआ . कांग्रेस के मुताबिक प्रियंका गांधी के निजी सचिव द्वारा सोमवार रात 11 बजकर 40 मिनट पर रिसीव किये गये ईमेल में उत्तर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस से कहा कि वह मंगलवार दस बजे तक बसों को लखनऊ भेज दे.
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इस पर निजी सहायक ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि जब हजारों श्रमिक यूपी की सीमाओं पर एकत्र हैं, तो ऐसे में खाली बसें लखनऊ भेजना अमानवीय है और यह गरीब विरोधी मानसिकता का परिचायक है. सरकार की ये मांग राजनीति से प्रेरित लगती है. उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने जवाब दिया कि बसों को सीमा पर ही लाने की अनुमति दी जाती है. उन्होंने कांग्रेस से कहा कि 19 मई के पत्र में आपने लखनऊ में बसें मुहैया कराने में असमर्थता जतायी है और आप उन्हें गाजियाबाद एवं नोएडा में देना चाहते हैं.
अवस्थी ने कांग्रेस से कहा कि वह 500 बसें कौशाम्बी और साहिबाबाद बस स्टैंड पर पहुंचा दे, जहां गाजियाबाद के जिलाधिकारी उन्हें अपने पास ले लेंगे. हालांकि ऐसा नहीं हुआ. इससे पहले, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि बसों की सूची में ऑटो रिक्शा और मोटरसाइकिल के नम्बर डालकर कांग्रेस गुमराह कर रही है. वह अपने ही छल के जाल में फंस गई है. उसकी बसों की लिस्ट में भी घोटाला निकला. कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि प्रियंका वाड्रा और राहुल गांधी की कांग्रेस फर्जीवाड़ा पार्टी है. सोनिया गांधी जो इन दोनो की मां हैं, कांग्रेस की अध्यक्ष हैं, उन्हें जवाब देना चाहिये कि यह फर्जीवाड़ा पार्टी क्या कर रही है.