उत्तर प्रदेश में जल्द ही बिजली संकट खड़ा होने वाला है इसके पीछे वजह है कि केंद्र सरकार की तरफ से जो कोयले का आवंटन किया जाता था, उसमें 30 प्रतिशत की कटौती कर दी गई है. दरअसल कोल इंडिया ने तय किया था कि सभी पावर प्लांट 30 प्रतिशत विदेशी कोयला खरीदकर इस्तेमाल करेंगे लेकिन यूपी सरकार ने ऐसा नहीं किया. लिहाजा कोल इंडिया ने यूपी की सप्लाई को कम कर दिया है. इसके कारण आने वाले समय में बिजली संकट खड़ा हो गया है. वहीं दूसरी तरफ अभी सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है.
उत्तर प्रदेश के थर्मल पावर प्लांटों को चलाने के लिए 15 से 17 रैक कोयले की प्रतिदिन आवश्यकता होती है लेकिन कोल इंडिया ने इस सप्लाई को कम करते हुए लगभग 11 रैक कर दिया है. इसकी वजह से अब प्रतिदिन थर्मल पावर प्लांट अपने रिजर्व स्टॉक में से कोयला विद्युत उत्पादन के लिए खर्च कर रहे हैं. कोल इंडिया ने पहले यह तय कर दिया था कि सभी राज्यों को 30 फ़ीसदी कोयला विदेशी कंपनियों से खरीदना होगा. एसएम उत्तर प्रदेश सरकार ने फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं लिया था, केंद्र की तरफ से कई पत्र भी लिखे गए लेकिन उसके बाद भी सरकार ने आम आदमी पर बोझ ना पड़े, इसलिए विदेशी कोयले की खरीद नहीं की.
अब कोल इंडिया ने सप्लाई में कटौती शुरू कर दी है, जिसकी वजह से माना जा रहा है कि लगभग एक महीने का स्टॉक है. इसमें से भी अब कोयले का खर्च शुरू हो गया है. इस वजह से अगस्त से लेकर सितंबर माह तक में बिजली का संकट खड़ा हो जाएगा. हालांकि अब इस पर मुख्यमंत्री को फैसला लेना है कि विदेशी कंपनियों से कोयला खरीदा जाएगा या नहीं उपभोक्ता परिषद का दावा है अगर विदेशी कंपनियों से कोयला खरीदा गया तो सरकार के बजट पर 650 करोड़ रुपए का अतिरिक्त खर्च आएगा. जिसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा.
उपभोगता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि अगर केंद्र सरकार के निर्देशानुसार विदेशी कोयला खरीदा गया तो इसका असर सीधे बिजली की कीमतों पर पड़ेगा. माना जा रहा है कि विदेशी कोयला खरीद के बाद प्रति यूनिट में 85 पैसे से लेकर ₹1 तक की बढ़ोतरी हो सकती है. एक तरफ आम आदमी महंगाई से पहले से ही परेशान है, ऐसे में अगर बिजली की भी कीमतें बढ़ीं तो लोगों की कमर टूट जाएगी. उपभोक्ता परिषद ने दावा किया है कि अगर विदेशी कंपनियों से कोयला खरीदना पड़ा तो उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के सामने अपना यह प्रस्ताव रख सकती है कि देश में कोयला और विदेशी कोयले की कीमत जो अंतर आए उसे सब्सिडरी के तौर पर विद्युत कंपनियों को दिया जाए ताकि आम आदमी पर असर ना पड़े हालांकि सरकार की तरफ से अभी कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
Source : News Nation Bureau