कंपनी की सामपन प्रक्रिया के दौरान उस पर सिविल वाद नहीं हो सकता दाखिल: HC

प्रयागराज हाईकोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि कोई कंपनी की सामपन प्रक्रिया चल रही है तो उसके खिलाफ लोन वसूली को लेकर सिविल वाद दाखिल नहीं किया जा सकता है.

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
Symbolic Image
Advertisment

प्रयागराज हाईकोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि कोई कंपनी की सामपन प्रक्रिया चल रही है तो उसके खिलाफ लोन वसूली को लेकर सिविल वाद दाखिल नहीं किया जा सकता है. लेकिन इसमें गारंटर का दायित्व समाप्त नहीं होगा. साथ ही ये भी कहा गया है कि कंपनी की देनदारी सहित सभी मामले कंपीन न्यायाधीश द्वारा तय किए जाएंगे. कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालय द्वारा कंपनी एक्ट की धारा 446 के अंतर्गत सिविल वाद को नामंजूर करने के निर्णय को सही करार दिया है. यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने अलीगढ़ के खालिद मुख्तार की प्रथम अपील को खारिज करते हुए दिया है.

ये भी पढ़ें: योगी सरकार ने किए 26 IAS अफसरों के तबादले, 9 जिलों के डीएम भी बदले

खालिद मुख्तार ने अलीगढ़ में दावा दायर किया था, जिसमें कहा गया कि मेसर्स प्रादेशीय औद्योगिक एवं इनवेस्टमेंट कार्पोरेशन ने मेसर्स बीके बैटरीज प्राइवेट लिमिटेड को लोन दिया. लोन अदा न करने पर गारंटर से वसूली की प्रक्रिया प्रारंभ की गई. गारंटर ने वसूली कार्यवाही के विरुद्ध निषेधज्ञा के लिए वाद दायर किया. कहा गया कि 1983 में लिए गए 30 लाख रुपये के लोन की वसूली गारंटर से नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कंपनी का समापन हो रहा है इसलिए सिविल वाद दायर नहीं किया जा सकता.

और पढ़ें: BJP विधायक राजेश मिश्रा की बेटी ने सुनाई आपबीती, बताई रिश्ते की कहानी, देखें Video

गारंटर का कहना था कि जितना उसका दायित्व है उतनी ही जवाबदेही होगी. वैसे तीन साल बाद वसूली कार्यवाही काल बाधित है. कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्त्ता ने कंपनी जज से अनुमति नहीं ली है. अपीलकर्त्ता का कहना था कि पहले लोन लेने वाली कंपनी से वसूली की जाए. यह अर्जी कंपनी जज ने निरस्त कर दी तो सिविल वाद दायर किया गया था.

High Court Uttar Pradesh Prayagraj allahabad high court company
Advertisment
Advertisment
Advertisment