उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट 'गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट' पर आई CAG की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस प्रोजेक्ट के काम तत्कालीन सरकार ने अपने पसंदीदा ठेकेदारों को दिया और इसके लिए अखबारों में टेंडर भी नहीं निकलवाए गए. साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि अखबारों में विज्ञापन के फर्जी कागजात भी बनाए गए कई कामों के लिए ठेके उन कंपनियों को दिए गए जिनके पास काम करने की योग्यता न के बराबर थी. इस प्रोजेक्ट में कुछ ऐसे फर्म भी थें जिन्होंने अपने डॉक्यूमेंट्स तक नहीं जमा कराए.
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प्रयागराज में यूपी के प्रधान महालेखाकार सरित जफा ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में CAG रिपोर्ट पेश की, जिसके तहत गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की लागत राशि भी इन ठेकेदारों को फायदा पहुचाने के लिए मनमाने तरीके से बढ़ा दिए गए. CAG रिपोर्ट में सामने आया है कि अखिलेश यादव ने मार्च 2015 में 656 करोड़ की लागत से गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. इसके तहत 24 कामों के लिए अलग-अलग कंपनियों को ठेके दिए जाने थे. इन सभी कामों के लिए टेंडर जारी होने थे लेकिन 24 में से 23 कामों के विज्ञापन प्रकाशित ही नहीं हुए.
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इस प्रोजेक्ट की CAG रिपोर्ट के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले लाये जाने पर भी सियासी घमासान मचा हुआ है जबकि इस प्रोजेक्ट में हुई गड़बड़ियों की पहले से जानकारी मीडिया में आ रही थी. बता दें कि यह रिपोर्ट पिछले दिनों विधानसभा में भी पेश की गई थी. बता दें कि इस मामले में CBI और ED पहले से जांच कर रही हैं.
Source : News Nation Bureau