आम तौर पर जब देश के किसी हिस्से में जब बाढ़ का पानी प्रवेश करता है तो लोग क्या करते हैं ? ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें जल्द बाढ़ से मुक्ति मिले, उनके कष्ट दूर हों लेकिन प्रयागराज में एक स्थान ऐसा है जहां लोग न सिर्फ बाढ़ का इंतज़ार करते हैं बल्कि बाढ़ का पानी आने पर खुशियां भी मानते हैं....क्या है ये पूरी घटना जानने के लिए देखिये संवाददाता मानवेन्द्र प्रताप सिंह की ये स्पेशल रिपोर्ट ।
प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर के निकट जैसे ही गंगा का पानी पहुंचा, मंदिर के प्रमुख महंत बलवीर गिरी, उनके शिष्यों और पुजारियों ने गंगा की आरती की... षोडशोपचार से मां गंगा का स्वागत किया, घण्टे घड़ियाल बजने लगे, मंदिर के गर्भगृह के द्वार पर पुष्प माला, दूध, दही, मधु, मिष्ठान गंगा को अर्पित किया गया । थोड़ी देर में कल-कल करता गंगाजल बड़े हनुमान मंदिर के गर्भगृह में पहुंच गया और बजरंग बली की लेटी हुई प्रतिमा का गंगा ने अभिषेक किया..... देखते देखते बजरंगी गंगा के आगोश में समा गए । हनुमान मंदिर के प्रमुख महंत बताते हैं कि यहां मां गंगा खुद बड़े हनुमान जी को स्नान कराने आती हैं और माना जाता है कि जिस वर्ष गंगा बजरंगबली को स्नान कराती हैं वो साल शुभ होता है । देश से तमाम तरह की विपत्तियां और महामारी दूर होती है । विश्व मे शांति आती है ।
अब तक ये खबर शहर में फैल चुकी जाती है कि मां गंगा बजरंगबली को स्नान कराने मंदिर पहुँच चुकी हैं । जिसके बाद मंदिर पर भक्तों की भीड़ उमड़ने लगती है । हर कोई इस घटना का साक्षी बनकर खुद को भाग्यशाली समझता है, इस बार गंगा के बाढ़ के पानी ने देर रात 12 बजे के आसपास मंदिर में प्रवेश किया बावजूद इसके भक्त मंदिर में डटे रहे ।
बीते कुछ दिनों से गंगा का जल स्तर तेजी बढ़ रहा है जिसके चलते शहर के निचले इलाकों में और कई गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है लेकिन इस प्राचीन मंदिर में जैसे ही बाढ़ का पानी आया लोग खुशी से झूम उठे । बजरंग बली के बाढ़ में डूब जाने के बाद अब मंदिर में ऊंचे स्थान पर स्थापित बजरंग बली के विग्रह की विशेष पूजा आरती तब तक होगी जब तक बाढ़ का पानी उतर नही जाता ।
बड़े हनुमान जी का ये मंदिर देश भर में प्रसिद्ध है । संगम तट पर लगने वाले कुंभ-अर्धकुंभ और माघ मेले में देश और दुनिया से पहुंचने वाले तमाम श्रद्धालु यहां दर्शन पूजा के लिए जरूर पहुंचते है । मान्यता है कि लंका विजय के बाद हनुमान जी का शरीर जीर्ण शीर्ण हो गया था जिसके बाद सीता जी ने उन्हें यहां विश्राम के लिये भेजा
था और इसी वजह से यहां बजरंग बली विश्राम अवस्था मे हैं यानी लेटे हुए मुद्रा में है । ये कथा भी ऐसी ही अद्भुत कथा है जैसे माँ गंगा के अभिषेक से भी जुड़ी कथा है और इसी के चलते बड़े हनुमान जी में भक्तों की अटूट आस्था है ।
Source : Manvendra Pratap Singh