अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में 143 साल पहले दफन किये गये एक टाइम कैप्सूल (Time Capsule) को बाहर निकालने की तैयारी की जा रही है. इसका मकसद विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष पर नई पीढ़ी को इतिहास से अवगत कराना है. टाइम कैप्सूल को जमीन से बाहर निकालने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा एक कमेटी बनाई गई है. यह कमेटी तय करेगी कि कैप्सूल को कब और कैसे जमीन के बाहर निकाला जाए.
गौरतलब है कि एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खां ने मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज (एमएओ) की स्थापना के समय भी टाइम कैप्सूल जमीन में दफनाया था. इस बॉक्सनुमा कैप्सूल को स्ट्रेची हॉल के पास जमीन में रखा गया था. अब यूनिवर्सिटी जमीन के उस नक्शे की तलाश में जुटी है, जहां कैप्सूल रखा गया था. इस कैप्सूल को जमीन में रखने के समय की तस्वीरें इंतजामिया के पास है. विश्वविद्यालय का कहना है कि करीब 140 साल पहले जमीन में दफनाए गए इस टाइम कैप्सूल से छात्र इतिहास की जानकारी ले सकेंगे.
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दिल्ली में जन्मे सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ में नौकरी की थी। पर्यावरण की दृष्टि से अलीगढ़ को बेहतर मानते हुए सर सैयद ने 24 मई 1875 को मदरसा तुल उलूम के रूप में यूनिवर्सिटी की नींव रखी थी. सात छात्रों से शुरू हुए मदरसे को बाद में वर्ष 1920 में विश्वविद्यालय का रूप दिया गया था. एएमयू में वर्ष 1877 में एक कैप्सूल दफन किया गया था. अब इस कैप्सूल को बाहर निकालने पर विश्वविद्यालय प्रशासन विचार कर रहा है ताकि पुराने इतिहास को नई पीढ़ी जान सके.
करीब 140 वर्ष पहले भी सर सैयद ने वायसराय व नरेश की मौजूदगी में टाइम कैप्सूल जमीन में रखा था. इसका जिक्र अलीगढ़ इंस्टीट्यूट गजट के 12 जनवरी 1877 को प्रकाशित अंक में मिलता है. कैप्सूल में सोने, चांदी व तांबे के सिक्कों के साथ मदरसा व कॉलेज की स्थापना के लिए किए संघर्ष आदि की दास्तां शामिल हैं. कैप्सूल में सामान को रखने के लिए कांच की बोतलों का इस्तेमाल किया गया था.
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नए कैप्सूल को भी दफनाया जाएगा
विश्वविद्यालय 143 साल पहले दफनाए गए टाइम कैप्सूल को निकालने के साथ ही नये कैप्सूल को भी दफनाएगा. विवि की स्थापना के शताब्दी वर्ष को लेकर की जा रही तैयारियों के क्रम में विश्वविद्यालय में एक कमेटी का गठन किया गया है. जिसमें रजिस्ट्रार अब्दुल हमीद, इतिहास विभाग के प्रो. एमके पुंडीर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के चेयरमैन प्रो. मिर्जा फैसल बेग, यूनिवॢसटी इंजीनियर राजीव शर्मा, सर सैयद एकेडमी के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. मो. शाहिद बोस व उर्दू अकेडमी के डायरेक्टर डॉ. राहत अबरार शामिल हैं. यह कमेटी नए कैप्सूल को दफन करने व पुराने कैप्सूल को निकालने को लेकर विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही है.
नया कैप्सूल इनमें से एक स्थान पर होगा दफन
-विक्टोरिया गेट के सामने
-सर सैयद हाउस
-कैनेडी हॉल
-लाइब्रेरी के सामने
Source : News Nation Bureau