उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले के जेल के कैदी गायों के लिए पुराने और फटे हुए कंबल का इस्तेमाल कर उन्हें ठंड से बचाने के लिए कोट बना रहे हैं. कौशाम्बी जिले के जेल अधीक्षक, बी.एस. मुकुंद ने कहा कि 10 कैदियों की एक टीम मवेशियों के लिए कवर की सिलाई कर रही है. मंझनपुर की एक गौशाला में 50 ऊनी कवर के एक पैकेट की आपूर्ति की जा रही है.
उन्होंने कहा, 'हमने कई जेलों से पुराने और फटे हुए कंबल एकत्र किए हैं और उन्हें कपड़े की पॉलिथीन की मोटी चादर के साथ सिलाई करके मवेशियों के लिए कोट बनाने के लिए उपयोग कर रहे हैं.' उनके अनुसार, सर्दियों के दौरान कैदियों को आवंटित कंबल आमतौर पर लगभग तीन साल तक चलता है. उसके बाद घिसे-पिटे, फटे कंबल का इस्तेमाल गायों के लिए कोट सिलने के लिए किया जाता है.
उन्होंने कहा, 'हमने एक महीने में मवेशियों के लिए लगभग 1,000 कवर तैयार करने का लक्ष्य रखा है और इस सप्ताह में करीब 400 कवर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ऊनी आवरण बन जाने के बाद हम इस पर एक लोगो लगाएंगे और इसे गौशालाओं में भेजेंगे.' योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के पशुपालन विभाग के माध्यम से विभिन्न जिलों में पशु चिकित्सा अधिकारियों से कहा है कि वे सर्दियों के महीनों के दौरान राज्य के गौशालाओं में गायों के लिए उचित सुरक्षा सुनिश्चित करें.
अधिकारी गौशालाओं की गाय के लिए कोट, कवर की व्यवस्था कर रहे हैं जो ज्यादातर जूट के थैलों से बने होंगे और गायों को गर्म रखेंगे। गाय के आश्रयस्थलों को भी मोटी पॉलीथीन के पर्दे या 'तिरपाल' से ढका जा रहा है, ताकि ठंडी हवाएं अंदर न जा पाए. कई जिलों में मोटे पर्दे और कवर बनाने के लिए जूट के थैलों को एक साथ सिला जाता है. इन्हीं जूट के बैगों का इस्तेमाल गाय के कोट बनाने के लिए किया जाएगा, जिसे सर्दियों में जानवरों को पहनाया जाएगा. जूट बैग जिला आपूर्ति विभाग द्वारा प्रदान किए जाएंगे.
कुछ जिलों में मनरेगा बजट के तहत ग्राम पंचायतें गाय के लिए कोट तैयार करेंगी और गाय आश्रयों को पॉलीथिन और अन्य सामग्री के साथ बने कवर से ढका जाएगा. कौशाम्बी जेल में पहली बार कैदियों ने इस तरह की पहल शुरू की है.
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