गंगा में मिला स्यूडोमोनास नाम का बैक्टीरिया कैंसर के इलाज के लिए उपयोगी माना गया है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के पर्यावरण अध्ययन केंद्र के शोध में इस तरह दावा किया गया है. ये एक एंटीबायोटिक रजिस्टेंस बैक्टीरिया माना गया है. मगर जीनोम सीक्वेंसिंग की मदद से ये जानकारी सामने आई है कि यह वर्जीनिया फैक्टिन नाम का पॉली किटाइड (नॉन राइबोसोमल पेप्टाइड) को तैयार करता है. इसमें एंटी बायोटिक के साथ एंटी कैंसर के गुण भी समाए हुए हैं. पर्यावरण अध्ययन केंद्र के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुरनजीत प्रसाद का यह शोधपत्र प्रकाशन के लिए अमेरिका बायोटेक्नोलॉजी एंड जेनेटिक इंजीनियरिंग रिव्यूज को लेकर भेजा गया है.
डॉ. प्रसाद के अनुसार, प्रयागराज स्थित रसूलाबाद घाट गंगाजल के नमूने में स्यूडोमोनास नाम का बैक्टीरिया मौजूद है. दरअसल पर्यावरण अध्ययन केंद्र में जीनोम सीक्वेसिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में बंगलुरू स्थित एक कंपनी की सहायता ली गई. बंगलुरू में मिडजीनोम कंपनी से इसकी जीनोम सीक्सेविंग कराई गई. यहां पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इस समय जीनोम में एंटीबायोटिक रजिस्टेंस जींस प्राप्त हुए. इनमें टेट्रासाइक्लीन और एंपिसिलीन शमिल है. इसके साथ आर्सेनिक से जुड़े जींस प्राप्त हुए हैं. आर्सेनिक एक विषैला रसायन बताया गया है. ये अक्सर पानी में मिलता है. यह एंटी बक्टीरियल बताया जाता है.
बकौल डॉ. प्रसाद, जीनोम सीक्वेंसिंग का बायोइंफॉर्मेटिक एनालिसिस करने पर पता चला कि स्यूडोमोनास बैक्टीरिया वेनेज्यूलीन, जेनामाइट और वर्जीनिया फैक्टिन नाम का पॉली किटाइड बनाता है. वेनेज्यूलीन और जेनामाइट में एंटीबायोटिक गुण पाए गए, जबकि वर्जीनिया फैक्टिन पॉली किटाइड में एंटीबायोटिक के साथ एंटी कैंसर गुण भी पाए गए हैं. डॉ. प्रसाद के बताया कि इस एनालिसिस करने के लिए साल भर चले रिसर्च के बाद पता चल सका कि जो बैक्टिरिया शरीर में कई बीमारियां दे सकता है. इसमें मौजूद पॉली किटाइड कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ने कारगर होता है. दुनिया भर में कैंसर को लेकर इलाज पर काम जारी है. मेडिकल साइंस की मानें तो वर्जीनिया फैक्टिन पॉली किटाइड के उपयोग से कैंसर का इलाज संभव हो सकता है.
Source : News Nation Bureau