इलाहाबाद हाईकोर्ट ( allahabad high court) ने अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए पांच अगस्त को प्रस्तावित भूमि पूजन पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है. मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि यह जनहित याचिका कल्पनाओं पर आधारित है.
कोर्ट ने कहा कि कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने की आशंका का कोई आधार नहीं है. हालांकि कोर्ट ने भूमि पूजन कार्यक्रम के आयोजकों व राज्य सरकार से इस बात की अपेक्षा की है कि वे सोशल डिस्टेंसिंग व शारीरिक दूरी बनाए रखने की गाइडलाइन के अनुसार ही कार्यक्रम करेंगे.
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चीफ जस्टिस ने लेटर पिटीशन को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार करते हुए भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की. मुम्बई के समाजसेवी साकेत गोखले की ओर से भेजी गई लेटर पीआईएल में कहा गया था कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाला भूमि पूजन कोविड-19 के अनलॉक-2 की गाइडलाइन का उल्लंघन है.
यह भी कहा गया था कि भूमि पूजन में लगभग 300 लोग एकत्र होंगे, जो कोविड-19 (Covid19) के नियमों के विपरीत होगा. लेटर पिटीशन के माध्यम से भूमि पूजन के कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की गई थी. कहा गया था कि भूमि पूजन का कार्यक्रम होने से कोरोना के संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ेगा.
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यह भी कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र की गाइडलाइन में छूट नहीं दे सकती. एक तरफ कोरोना संक्रमण के कारण ही बकरीद पर सामूहिक नमाज़ की इजाजत नहीं दी गई है और दूसरी ओर सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में कार्यक्रम होने जा रहा है.
गौरतलब है कि 5 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी अयोध्या राम मंदिर शिलान्यास में शामिल होंगे. गर्भगृह में पीएम मोदी भूमि पूजन करेंगे. राम मंदिर निर्माण कार्यक्रम में अमित शाह समेत कई बीजेपी के बड़े नेता शामिल हो सकते हैं.
Source : News Nation Bureau