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Ayodhya Ram Mandir: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से पहले अयोध्या राम मंदिर के अंदर का पहला Video

यह मंदिर वास्तुकला की पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है, जिसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है. मालूम हो कि, वास्तुकला की नागर शैली की उत्पत्ति उत्तर भारत में हुई.

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Sourabh Dubey
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ram_lalla( Photo Credit : social media)

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पूरा विश्व 22 जनवरी का इंतजार कर रहा है... धर्म नगरी अयोध्या में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह की तैयारी करीब-करीब पूरी हो चुकी है. राम जन्मभूमी पर बने रामलला के भव्य मंदिर को बहुरंगी रोशनी से सुसज्जित किया गया है, जिससे इस अलौकिक राम नगरी ने और भी जीवंत रूप ले लिया है. हाल फिलहाल में भगवान राम के पवित्र निवास की खूबसूरत तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है, जिसमें मंदिर को मनमोहक फूलों के सजाया गया है, जिससे सारा परिसर पवित्र और जगमगा रहा है...

इस शानदार और दिव्य वातावरण की हाल ही में एक अत्यंत सुंदर वीडियो सामने आई है, जिसे खबर में आगे आप देखेंगे... बता दें कि इस वीडियो को डीडी न्यूज द्वारा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया गया है, जिसमें मंदिर की सुंदर संरचना को स्पष्ट दमकते देखा जा सकता है. 

गौरतलब है कि, यह मंदिर वास्तुकला की पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है, जिसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है. मालूम हो कि, वास्तुकला की नागर शैली की उत्पत्ति उत्तर भारत में हुई. नागर शैली में बने मंदिरों में ऊंचे पिरामिडनुमा मीनारें होती हैं जिन्हें शिखर कहा जाता है और शीर्ष पर एक कलश होता है. मंदिर के खंभे जटिल नक्काशी का प्रदर्शन करते हैं, जबकि दीवारें मूर्तियों से सजी हैं.

ये हैं 'राम मंदिर' की मुख्य विशेषताएं

बता दें कि, अयोध्या में राम मंदिर तीन मंजिला है, प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची है. इसमें कुल 392 खंभे और 44 दरवाजे हैं. मंदिर का सबसे भीतरी गर्भगृह, गर्भगृह, जहां प्रभु श्री राम विराजे हैं. मंदिर में पांच मंडप या हॉल हैं, अर्थात् नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप.

वहीं इस मंदिर को एक आयताकार परिसर की दीवार से घिरा हुआ है जिसे 'परकोटा' के नाम से जाना जाता है, जिसकी लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट है. परिसर के चारों कोनों में सूर्य देव, देवी भगवती, गणेश भगवान और भगवान शिव को समर्पित अलग-अलग मंदिर हैं.

मंदिर तक पहुंच पूर्वी प्रवेश द्वार से होती है, जिसमें सिंह द्वार के माध्यम से 32 सीढ़ियों की चढ़ाई शामिल है. इसके अतिरिक्त, मंदिर में दिव्यांगों और बुजुर्ग व्यक्तियों के प्रवेश की सुविधा के लिए रैंप और लिफ्ट हैं, जो सभी आगंतुकों के लिए समावेशिता और सुविधा सुनिश्चित करते हैं.

Source : News Nation Bureau

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