राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ. रामविलास वेदांती ने बुधवार को कहा कि राममंदिर पर निर्णय हो चुका है और सिर्फ घोषणा होनी बाकी है. वेदांती जालौन के देवनपुरवा में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राम मंदिर पर निर्णय तो जज कर चुके हैं सिर्फ घोषणा होनी बाकी है. उन्होंने बताया कि अयोध्या मामले में जितने भी जन्मस्थान के साक्ष्य हैं, वे सभी रामलला से जुड़े हुए हैं. राम लला के नाम से सरयू नदी, रामघाट, राम वार्ड, राम थाना है। ये सभी हमारे धार्मिक ग्रंथों में वर्णित हैं.
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वेदांती ने कहा कि जिस जगह राम का जन्म हुआ है वही भव्य मन्दिर बनेगा. मंदिर के 84 कोशी परिक्रमा के अंदर कोई भी मस्जिद का निर्माण नहीं होगा. उन्होंने बताया कि जितना विरोध मुसलमानों ने नहीं किया, उससे ज्यादा कांग्रेस ने किया और कांग्रेस ने हिन्दू-मुस्लिम को लड़ाने का काम किया. वेदांती ने कहा, 'वर्ष 1993 में सैयद शहाबुद्दीन ने लोकसभा में कहा था कि यदि वहां रामजन्म के सम्बंध में कोई भी साक्ष्य मिलते हैं तो वहां राम मंदिर निर्माण करवाया जाए. खुदाई के दौरान जो भी साक्ष्य मिले हैं वह पूर्णतया रामजन्म के स्थान को सिद्ध करते हैं. यह नजूल की भूमि है और नजूल भूमि पर केंद्र सरकार का अधिकार होता है.'
उन्होंने आगे कहा, 'धारा 370 हटाए जाने पर जितना दुख कांग्रेस को हुआ उतना तो जम्मू-कश्मीर के मुस्लिम समाज के लोगों को भी नहीं हुआ. भारत के 80 प्रतिशत मुसलमान रामजन्म भूमि के पक्ष में हैं. आतंकवाद से जुड़े लोग राम मंदिर के विरोध में हैं.'
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हालांकि इससे पहले मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने दावा किया है कि उन्होंने मध्यस्थता समिति से कहा था कि बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद मामले में मुस्लिम पक्षकार राम चबूतरा, सीता रसोई और सहन (आंगन) के हिस्से पर अपना दावा छोड़ने को तैयार है और तीन गुंबदों के नीचे की जगह मांग रहा है. मौलाना ने कहा कि मध्यस्थता की कोशिश 11-12 बार नाकाम हो चुकी थी, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए कहा तो मैं मध्यस्थता के लिए सहमत हो गया था. उन्होंने आगे कहा कि मध्यस्थता का मतलब सभी पक्षकार अपने-अपने रुख में थोड़ा नरमी लाएं, अगर कोई पीछे नहीं हट सकता तो मध्यस्थता नहीं होगी. उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद में एक हिस्सा गुंबद के नीचे का है और एक उसका सहन है, जहां राम चबूतरा और सीता रसोई है.
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