अयोध्या (Ayodhya) में राममंदिर (Ram Mandir) के भूमिपूजन (Bhumi Pijan) की तैयारी जोरों से से चल रही हैं. पूरी अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. अयोध्या में सरयू तट को रंगबिरंगी लाइटों से सजाया गया है तो वहीं पूरी अयोध्या को पीले रंग में रंगा जा रहा है. 5 अगस्त को होने वाले भूमिपूजन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित 200 से अधिक वीआईपी मेहमान शामिल होंगे.
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आयोजन स्थल पर विशाल टेंट लगाया जा रहा है. यह टेंट पूरी तरह वातानुकूलित होगा. इसके लिए बड़े बड़े एसी पहुंच गए हैं. इसके अलावा एक मंच भी बनाया जा रहा है. रामलला के भूमिपूजन को सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा. अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर पर भी इसकी तैयारी कर ली गई है. जाहिर है इतना बड़ा आयोजन है तो इसमें किसी तरह की कमी करने की कोई गुंजाइश नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी भूमिपूजन के साथ ही मंदिर नए थ्रीडी मॉडल का भी उद्घाटन करेंगे. क्या आपको पता है कि जिन रामलला के लिए इतने बड़े आयोजन की तैयारी की जा रही, वहीं करीब 27 साल तक टेंट में रहे थे.
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अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 के बाद से रामलला एक तंबू के नीचे विराजमान थे. विवादित ढांचा विध्वंस के बाद से रामलला मानस भवन के पास टाट के नीचे रखे गए थे. पिछले साल दिसंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद 27 साल बाद उन्हें यहां से शिफ्ट करके फाइबर के मंदिर में 24 मार्च को स्थापित कर दिया गया.
27 साल में सिर्फ दो बार बदला गया रामलला का टेंट
अयोध्या में विवादित जगह के पास विराजमान रामलला जिस टेंट में हैं, उसे पिछले पिछले 27 साल में सुप्रीम कोर्ट कोर्ट का फैसला आने तक सिर्फ दो बार बदला गया है. यहां सुबह-शाम उनकी आरती होती है, भोग लगता है और श्रृंगार होता है, लेकिन सालभर में सिर्फ एक ही बार उनके वस्त्र सिलवाए जाते हैं. सात वस्त्रों के दो सेट अलग-अलग रंगों के होते हैं. हर एक रंग के वस्त्र, दुपट्टा, बिछौना और पर्दे का सेट 11 मीटर कपड़े से तैयार किया जाता है. अगर किसी वजह से वस्त्र फट जाएं तो इन्हें बदलने और उसका खर्च उठाने के लिए भी कमिश्नर से अनुमति लेनी पड़ती थी.
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हर 10 साल में एक बार टेंट बदलने की थी व्यवस्था
रामलला का टेंट अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक दो बार ही बदला गया है, क्योंकि हर 10 साल के अंतराल में टेंट बदलने की व्यवस्था थी. पिछली बार इसे 2015 में बदला गया था. यह टेंट वॉटर और फायर प्रूफ था. इसे विशेष रासायनिक लेप के साथ रुड़की के एक संस्थान ने तैयार किया था जिस पर 12 लाख रुपए का खर्च आया.
Source : News Nation Bureau