गोरखपुर सांसद रवि किशन ने भोजपुरी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने की मांग की. भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए उन्होंने ससंद में प्राइवेट बिल पेश कर दिया है. रवि किशन का कहना है कि भोजपुरी भाषा सिर्फ बेकार गानों के लिए नहीं है. भोजपुरी का समृद्ध इतिहास और साहित्य है. इसे बढ़ावा देने की जरूरत है.
भोजपुरी फालतू गानों को लेकर नहीं
भाजपा सांसद का कहना है कि इतने सारे लोग भोजपुरी बोलते हैं और भोजपुरी समझते हैं. यह हमारी मातृभाषा है. मैं इसे बढ़ावा देना चाहता हूं. भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री बहुत बड़ी है. भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री भी बहुत बड़ी है. किशन ने कहा कि भोजपुरी साहित्य को बढ़ावा देने के लिए यह विधेयक पेश किया गया है. आधिकारिक भाषा बनने के बाद लोग भोजपुरी को गंभीरता से लेंगे. यह फालतू गानों के बारे में नहीं है. हमारी भाषा बहुत समृद्ध है. भोजपुरी साहित्य को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है. मैंने इस भाषा से बहुत कुछ कमाया है. मैं अब अपने समाज को उनकी पहचान देना चाहता हूं. यह भाषा ही मेरी पहचान है.
140 मिलियन लोग भोजपुरी में करते हैं बात
प्राइवेट बिल पर रवि किशन ने कहा कि भोजपुरी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, बिहार सहित कई प्रदेशों में बोली जाती है. करोड़ों लोग यह भाषा बोलते हैं. मॉरीशस में लोग भोजपुर में ही बात करते हैं. एक अनुमान के अनुसार, 140 मिलियन लोग भोजपुरी में बात करते हैं. भोजपुरी फिल्म देश-विदेश में बेहद लोकप्रिय है. हिंदी फिल्म में भी इसका प्रभाव है.
भोजपुरी कई साहित्यकारों को पसंद
संसद में उन्होंने आगे कहा कि भोजपुरी समृद्ध साहित्य और सांस्कृतिक विरासत है. भोजपुरी भाषा में कई महान लेखकों ने लेख लिखे हैं. विवेकी रॉय और भिखारी ठाकुर जैसे लेखकों ने भोजपुरी में अपने लेख लिखे हैं. उन्हें- 'शेक्सपियर ऑफ द शेक्सपियर' के नाम से जाना जाता है. भारतेंदु हरिश्चंद्र, महावीर प्रसाद द्विवेदी और मुंशी प्रेमचंद जैसे दिग्गज लेखक भोजपुरी से काफी अधिक प्रभावित थे.