राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी और वरिष्ठ प्रचारक ने कहा है कि अयोध्या (Ayodhya) में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा बनाए जाने वाले ट्रस्ट में "राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) , विश्व हिंदू परिषद के लोग" होंगे और अयोध्या (Ayodhya) के कारसेवक पुरम में मंदिर निर्माण के लिए तराशे गए पत्थर इस ट्रस्ट को सौंप दिए जाएंगे. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला देते हुए शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन करे और साथ ही सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए किसी दूसरी जगह पर पांच एकड़ जमीन दी जाए.
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आरएसएस के एक अखिल भारतीय पदाधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, "अयोध्या (Ayodhya) में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा बनाए जाने वाले ट्रस्ट में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदू परिषद के लोग होंगे." आरएसएस प्रचारक से यह पूछा गया था कि क्या राम मंदिर आंदोलन में संघ (RSS) की भूमिका यहीं तक होगी. यह पदाधिकारी राम मंदिर आंदोलन के समय उत्तर प्रदेश में संघ (RSS) के प्रचारक थे और आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी.
यह भी पढ़ेंः AyodhyaVerdict: राम लला को 500 साल के वनवास से मुक्त कराने वाले 92 वर्ष के इस शख्स की पूरी हुई अंतिम इच्छा
अयोध्या (Ayodhya) के कारसेवक पुरम में मंदिर निर्माण के लिए तराशे जा रहे पत्थरों के बारे में उन्होंने कहा, "मंदिर बनाने के लिए जो पत्थर तराशे जा रहे हैं, उसे विश्व हिंदू परिषद के लोग मिलकर करा रहे हैं. ये पत्थर मंदिर निर्माण के लिए ही हैं.
यह भी पढ़ेंः AyodhyaVerdict: मुस्लिम देशों में सबसे ज्यादा सर्च किया गया अयोध्या, जानें क्या खोज रहा था पाकिस्तान
ट्रस्ट ही मंदिर बनाएगा और ये पत्थर हम उसे सौंप देंगे. इसीलिए तो इतने वर्षों से वहां काम चल रहा है." उन्होंने कहा, "हमलोग सहयोगी के नाते राम मंदिर बनाने में जो सहयोग कर सकते हैं, करेंगे." उन्होंने कहा, "राम मंदिर पुराना मुद्दा था, लेकिन 1984 के आसपास राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति की स्थापना के बाद इस मुद्दे पर जनजागरण का काम हुआ.
यह भी पढ़ेंः Ayodhya Verdict: अयोध्या पर फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा काम किया जो पहले कभी नहीं हुआ था
इसमें अशोक सिंघल, रामचंद्र परमहंस दास, महंत अवैद्य नाथ और कांग्रेस के एक पुराने नेता दाऊ दयाल खन्ना शामिल थे." आरएसएस पदाधिकारी ने आगे बताया, "1992 के आंदोलन के समय मैं लखनऊ में था. लखनऊ में कर्फ्यू लगा था और सड़कों पर लाखों लोग उतर आये थे.
इतने लोग तो अयोध्या (Ayodhya) नहीं जा सकते थे, तो ये कहा गया कि अयोध्या (Ayodhya) की ओर मुंह करके दस कदम चलें और राम नाम का जाप करें, इतना करने से ही कारसेवा मान ली जाएगी."
यह भी पढ़ेंः सारे जहां अच्छा, हिंदोस्तां हमारा..लिखने वाले कवि इकबाल की तारीफ में इमरान खान ने पढ़े कसीदें
उन्होंने बताया, "इस मुद्दे को जन आंदोलन बनाने के लिए प्रत्येक गांव में ‘राम शिला पूजन’ का कार्यक्रम किया गया और सवा रुपये दक्षिणा के साथ शिला को अयोध्या (Ayodhya) मंगवाया गया, अयोध्या (Ayodhya) से देश के प्रत्येक गांव में ‘राम ज्योति’ भेजी गई और कहा गया कि इस ज्योति से ही दीवाली मनाएं. कुछ सरकारों ने इस ज्योति को ले जाने पर प्रतिबंध लगाया तो इसे बाल्टी में छिपाकर ले जाया गया."