बीजेपी राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद का हमेशा से विरोध करती रही है. बीजेपी के नेता कांग्रेस को वंशवादी और समाजवादी पार्टी को परिवारवादी पार्टी बताते रहे है. लेकिन उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सांसद, मंत्री और विधायकों में पुत्रमोह बढ़ता जा रहा है. कुछ दिन पहले स्वामी प्रसाद मौर्य अपने पुत्र का टिकट पक्का न होने पर मंत्री पद से इस्तीफा देकर बीजेपी छोड़ सपा का दामन थाम लिया. अब बीजेपी सांसद रीती बहुगुणा जोशी पार्टी हाईकमान पर अपने पुत्र मयंक जोशी को विधानसभा का टिकट देने का दबाव बना रही हैं. इसके एवज में वह सांसदी से इस्तीफा तक देने को तैयार है.
दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय में आज उत्तर प्रदेश के तीसरे और चौथे चरण के उम्मीदवारों का नाम फाइनल होने वाला है. इसके साथ बीजेपी सहयोगी दलों के साथ भी बैठक कर रही है. बैठक में तय होना है कि किस दल को कितना सीट मिलेगा. लेकिन इसके पहले ही इलाहाबाद से सांसद रीता जोशी ने पार्टी आलाकमान की मुश्किलों को बढ़ा दिया है.
यह भी पढ़ें : कॉमेडियन से लेकर 'आप' CM के चेहरे तक, जानिए कौन हैं भगवंत मान ?
गृह मंत्री अमित शाह बीजेपी मुख्यालय पहुंच गये हैं. लेकिन इसके पहले सांसद रीता जोशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से कहा कि, “ पार्टी मेरे बेटे का टिकट ऐलान करे मैं सांसदी से इस्तीफा दे दूंगी.”
सूत्रों के अनुसार बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर कहा है कि अगर उनके बेटे के टिकट देने में सांसद होने से कोई अड़चन आ रही है तो वो इस्तीफे के लिए तैयार है. पत्र में वह अपने बेटे को प्रयागराज की शहर उत्तरी सीट से दावेदारी जताई हैं. सूत्रों के मुताबिक पार्टी उनके बेटे मयंक को लखनऊ की कैंट सीट से टिकट देने पर सहमत है. लेकिन रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे मयंक को लखनऊ के बजाय अब प्रयागराज से लड़ाना चाहती हैं. दरअसल, प्रयागराज की उत्तरी विधानलभा सीट के अंतर्गत ही रीता बहुगुणा जोशी का आवास है.
रीता जोशी ने पार्टी नेताओं को लिखी अपनी चिट्ठी में कई दूसरे सांसदों के परिजनों की दावेदारी पर भी सवाल उठाए हैं. चिट्ठी में रीता जोशी ने कार्यकाल पूरा होने के बाद आगे कोई चुनाव नहीं लड़ने की भी बात कही है. जोशी ने यह भी कहा है कि बेटे को टिकट मिले या ना मिले मैं बीजेपी में हूं.
रीता जोशी को फूलपुर की सांसद केसरी देवी पटेल के बेटे दीपक पटेल की दावेदारी पर भी एतराज जताया है. हालांकि दीपक पटेल अपनी मां के सांसद चुने जाने से पहले ही विधानसभा का 3 चुनाव लड़ चुके हैं. और 2012 में करछना सीट से विधायक भी रह चुके हैं.