उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में अभी करीब सालभर का वक्त है, जिसको पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट भूमि पर राजनीति गर्म हो गई है. एक बार पश्चिम यूपी के गन्ना क्षेत्र की राजनीति में भी चर्चा में है. राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) (जो 2017 के विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनावों की तरह यूपी में अगला चुनाव प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी के साथ लड़ेगी. पार्टी ने काम करना शुरू कर दिया है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और मायावती के नेतृत्व वाली बसपा से खोई हुई राजनीतिक जमीन को फिर से हासिल करने की राष्ट्रीय लोक दल पूरी कोशिश में दिखाई दे रही है.
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दरअसल, राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जंयत चौधरी जाट मतदाताओं को वापस लुभाने की कोशिश में है, जो गन्ना बेल्ट में 25% मतदाता हैं, साथ ही अन्य जातियों और समुदायों, जिनमें महत्वपूर्ण दलितों के अलावा, गुर्जर, त्यागी, ब्राह्मण और मुस्लिम शामिल हैं.
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युवा पूर्व सांसद जयंत चौधरी के नेतृत्व वाले रालोद ने मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह समेत अपने दिग्गजों के नक्शेकदम पर चलते हुए अपने राजनीतिक भाग्य को पुनर्जीवित करने के लिए जातियों और समुदायों को के लिए भाईचार सम्मेलन शुरू की है.
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भाईचारा सम्मेलन का पहला आयोजन मुजफ्फरनगर जिले के खतौली विधानसभा क्षेत्र से शुरू की गई थी, जो देश भर में चल रहे कृषि विरोधी कानून आंदोलन के सार्वजनिक चेहरे और भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत का गृह जिला है. गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा, जिस छतरी के नीचे किसानों का आंदोलन चल रहा है. उसने 5 सितंबर को पश्चिम यूपी के उसी मुजफ्फरनगर जिले में किसान महापंचायत आयोजित करने की घोषणा की है. साथ ही लखनऊ समेत पूरे यूपी और उत्तराखंड में विरोध प्रदर्शन करने का भी ऐलान किया है.
HIGHLIGHTS
- उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मी तेज
- 2022 चुनाव को लेकर सियासी दलों की हलचल बढ़ी
- जाट वोटर्स को लेकर सपा-आरएलडी ने बनाई रणनीति