राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की 19 फरवरी को हुए पहली बैठक के बाद अब अयोध्या में 18 जुलाई को दूसरी बैठक करने का ऐलान किया है. यह बैठक पूर्व में 30 अप्रैल को तय की गई थी लेकिन कोरोना के कारण स्थगित कर देनी पड़ी. वहीं मंदिर निर्माण कार्य में हो रही देरी को देखते हुए ट्रस्ट ने अगली बैठक की तिथि की घोषणा कर दी है. 18 जुलाई को होने वाली बैठक के लिए ट्रस्ट के सभी सदस्यों को आमंत्रित किया गया है. लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले ट्रस्ट के सदस्य अधिक आयु होने के कारण कई सदस्य अयोध्या नहीं पहुंच सकेंगे. जिसमें प्रमुख ट्रस्टी के परासरण, वहीं चातुर्मास के कारण प्रयागराज से वासुदेवानंद सरस्वती और उडुपी से स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ महाराज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस बैठक में शामिल होंगे. इसके साथ ही 16 और 17 जुलाई को मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्र, उत्तर प्रदेश सरकार के पदेन ट्रस्टी अवनीश अवस्थी ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल, परमानंद जी महाराज, स्वामी गोविंद देव गिरि के अयोध्या पहुंचने की संभावना है. वहीं अन्य सदस्यों में से ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, महासचिव चंपत राय सदस्य अनिल मिश्र, पदेन सदस्य जिला अधिकारी अनुज झा, निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास, अयोध्या राजा विमलेंद्र मोहन मिश्र अयोध्या में मौजूद हैं.
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वहीं दूसरी तरफ बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. इकबाल अंसारी ने ओली के बयानों पर पलटवार करते हूए कहा कि राम के सेवक हनुमान जी को गुस्सा आया तो नेपाल नक्शे से नेस्तोनाबूत हो जाएगा. अयोध्या में भगवान राम के साथ हनुमान जी भी विराजमान हैं. यदि हनुमान जी को गुस्सा आ गया तो नेपाल तबाह और बर्बाद हो जाएगा. इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या का सम्मान सारी दुनिया के लोग करते हैं, जो आज से नहीं बल्कि पुरातन सभ्यता से चला रहा है. बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने भगवान राम और उनकी जन्मभूमि पर विवादित बयान दिया था. ओली ने कहा है कि भारत की अयोध्या नकली है और असली अयोध्या नेपाल में है. साथ ही भगवान राम को नेपाली कहा था. इस पर पलटवार करते हुए इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या धर्म की नगरी है और यहां पर सभी धर्म व जाति के देवी देवता विराजमान हैं. उन्होंने कहा कि अयोध्या का जो महत्व है वह नेपाल के प्रधानमंत्री नहीं जानते. प्रधानमंत्री ओली को धर्म के बारे में जानकारी नहीं है. नेपाल में हिंदू विरोधी कार्य किया जाता है. वहीं नेपाल के प्रधानमंत्री अयोध्या के बारे में नहीं जानते न ही वह अयोध्या कभी घूमे हैं. अगर कभी अयोध्या आए होते तो उन्हें यह जरूर मालूम होता कि यहां पर देवताओं का वास है.