शिवपाल यादव के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो चुकी हैं. यूपी में समाजवादी पार्टी के अहम नेताओं में गिने जाने वाले शिवपाल का जाना सपा के लिए बड़ा झटका होगा. इस तरह से जनता से बीच साफ संदेश जाएगा कि परिवार में अंदरूनी कलह जारी है. भाजपा को उनके जनाधार का लाभ मिलेगा. ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा में शामिल होने के बाद शिवपाल यादव को राज्यसभा भेजा जा सकता है तो उनके बेटे आदित्य यादव को भाजपा उनकी सीट जसवंतनगर से उतारकर विधानसभा भेजने का प्रयास करेगी. रिकॉर्ड मतों से जीते शिवपाल की जसवंतनगर सीट पर काफी गहरी पकड़ है. यहां पर आदित्य यादव को आसान जीत मिल सकती है. यदि योजना सफल होती है तो शिवपाल को केंद्र की राजनीति में जगह मिलेगी. वहीं प्रदेश में उनके बेटे को स्थान मिल जाएगा, जिसकी उन्हें लंबे समय से तलाश है.
वहीं भाजपा को शिवपाल के आने से कई फायदे मिलेंगे. राजनीति विश्लेषकों के अनुसार भाजपा शिवपाल के सहारे एक तीर से कई निशाने साध सकती है. भाजपा शिवपाल को अपने पाले में लाकर यादव बेल्ट में अपनी मजबूत पकड़ बनाना चाहती है. इटावा, मैनपुरी, कन्नौज, फिरोजाबाद और फर्रुखाबाद जैसे जिले सपा के गढ़ माने जाते हैं और यादवों की बड़ी आबादी होने के कारण अधिकतर सीटें सपा के हक में जाती हैं. यादव बेल्ट पर शिवपाल यादव का दबदबा है. उन्होंने दशकों तक इन इलाकों में गांव-गांव में घूमकर काम किया है. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा यादव बेल्ट में अपनी मजबूत पैठ जमाना चाहती है.
अखिलेश पड़ेंगे अलग-थलग
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अपर्णा यादव भाजपा में शामिल हो गई थीं. भाजपा अब शिवपाल को तोड़कर अखिलेश के परिवार को अलग-थलग करने की कोशिश करेगी. भाजपा अखिलेश यादव की ऐसी छवि बनाना चाहती है जो जनता में संदेश दे कि परिवार में किसी का सम्मान नहीं किया जाता. हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में भाजपा के कई नेताओं ने खुले मंच से कहा था कि अखिलेश पिता और चाचा का सम्मान नहीं करते हैं. जो बाप-चाचा का नहीं हुआ, वह यूपी की जनता का क्या होगा?
HIGHLIGHTS
- 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा यादव बेल्ट में अपनी मजबूत पैठ जमाना चाहती है
- रिकॉर्ड मतों से जीते शिवपाल की जसवंतनगर सीट पर काफी गहरी पकड़ है