लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद चुनाव में कीर्ति कोल को उम्मीदवार बनाया था और जोर शोर से प्रचार किया कि समाजवादी पार्टी ने एक आदिवासी समाज की महिला को उम्मीदवार बनाया है और खुद को आदिवासियों का हिमायती साबित करने की पुरजोर कोशिश की. लेकिन अब समाजवादी पार्टी की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि कीर्ति कोल का पर्चा खारिज हो गया है. कीर्ति कोल ने पर्चा दाखिल करते समय अपनी जो उम्र बताई थी, वो चुनाव लड़ने के लिए सही नहीं पाई गई.
क्या सपा ने ठीक से नहीं किया था होमवर्क?
कीर्ति कोल ने जब पर्चा दाखिल किया था, तो समाजवादी पार्टी के बड़े-बड़े दिग्गज नेता उनके साथ मौजूद थे. लेकिन जिस तरह से कीर्ति कोल का प्रचा खारिज हुआ है, उसे लेकर समाजवादी पार्टी के नेतृत्व और रणनीतिकारों पर दोनों पर सवाल उठ रहे हैं. सवाल ये कि क्या समाजवादी पार्टी ने कीर्ति कोल का पर्चा दाखिल करते वक्त अपना होमवर्क सही तरीके से नहीं किया था? या फिर समाजवादी पार्टी के रणनीतिकारों को जानकारी ही नहीं है कि विधान परिषद का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार की उम्र कितनी होनी चाहिए.
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आदिवासी समाज को अपमानित करने के लिए कीर्ति को बनाया उम्मीदवार!
अब तमाम विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की नीयत और नीति दोनों पर सवाल उठा रहे हैं. उनका आरोप है कि समाजवादी पार्टी ने आदिवासी समाज को अपमानित करने के लिए कीर्ति कोल का पर्चा भरवाया, जबकि चुनाव लड़ने के लिए उनकी उम्र पर्याप्त नहीं थी. समाजवादी पार्टी आदिवासी समाज की इतनी हितैषी होती तो राष्ट्रपति के चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करती न कि यशवंत सिन्हा का. कुछ दल तो यह भी आरोप लगा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव सियासत और चुनाव के प्रति कभी गंभीर रहे ही नहीं है. यही वजह है कि इतने महत्वपूर्ण चुनाव में भारी रणनीतिक गलतियां अक्सर ये पार्टी करती रहती रही है.
HIGHLIGHTS
- सपा पर पूर्व सहयोगियो ने लगाए गंभीर आरोप
- आदिवासी समाज को अपमानित करने के लिए किया ये काम
- क्या उम्र सीमा तक नहीं जानते सपाई नेता?