सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोरोना संक्रमित प्रवासी मजदूरों के प्रतिशत के सिलसिले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाल के बयान पर तंज करते हुए मंगलवार को कहा कि योगी के दावे के उलट राज्य में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा कम क्यों हैं, ऐसे में कुछ तो है जिसकी पर्दादारी की जा रही है. अखिलेश ने ट्वीट किया ''मुख्यमंत्री जी के दिव्य राजनीतिक गणित के हिसाब से यदि मुंबई-महाराष्ट्र से लौटे 75%, दिल्ली से लौटे 50% अन्य राज्यों से लौटे 25% लोग कोरोना-संक्रमित हैं तो फिर पचीसों लाख लौटे लोगों को मिलाकर प्रदेश में कोरोना का प्रकाशित आँकड़ा कुछ हजार ही क्यों है?'' उन्होंने कहा ''कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है!''
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गौरतलब है कि आदित्यनाथ ने पिछले दिनों एक बयान में कहा था कि मुंबई-महाराष्ट्र से लौटे 75 प्रतिशत प्रवासी श्रमिक कोरोना संक्रमित हैं. इसके अलावा दिल्ली से लौटे 50 फीसद तथा अन्य राज्यों से लौटे 25 प्रतिशत लोग कोरोना-संक्रमित हैं! अखिलेश ने प्रवासी श्रमिकों को विभिन्न राज्यों में ले जा रही रेलगाड़ियों के संचालन में खामी की तरफ इशारा करते हुए एक और ट्वीट में एक तंज भरा कार्टून भी पोस्ट किया.
इसके पूर्व, उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी ने कोरोना संक्रमित प्रवासी मजदूरों के प्रतिशत में सिलसिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाल के बयान को गम्भीरता से न लेने की सलाह दी है. चौधरी ने यहां एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री योगी ने कोरोना संक्रमित प्रवासी मजदूरों के प्रतिशत के सिलसिले में जो बयान दिया है, उस आधार पर उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या तकरीबन दस लाख है. ऐसे में योगी के बयान को गम्भीरता से नहीं लिया जाना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि इसके लिए योगी का कोई दोष नहीं है, क्योंकि उनके अफसरों ने उन्हें जो लिखकर दिया, वही उन्होंने पढ़ दिया. उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है कि कोरोना संक्रमित प्रवासी मजदूरों की तादाद 75 फीसद और 50 प्रतिशत होने पर कितनी भयानक स्थिति पैदा होगी.
मुख्यमंत्री जी की ‘दिव्य राजनीतिक गणित’ के हिसाब से यदि मुंबई-महाराष्ट्र से लौटे 75%, दिल्ली से लौटे 50% अन्य राज्यों से लौटे 25% लोग कोरोना-संक्रमित हैं तो फिर पचीसों लाख लौटे लोगों को मिलाकर उप्र में कोरोना का प्रकाशित आँकड़ा कुछ हजार ही क्यों है.
कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है!
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 26, 2020
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश की गरिमा को गिराने वाले इस बयान को लेकर उन अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने मुख्यमंत्री को वह प्रेस नोट लिखकर दिया और यदि यह कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे देश में मुख्यमंत्री की "विद्वता" को लेकर प्रदेश का सिर शर्म से झुकता रहेगा. उन्होंने किसी का नाम लिये बगैर कहा, ‘‘पहले भाजपा के दो शीर्ष नेता भी इसी तरह की "विद्वता" का बयान देकर चर्चा में रहते थे.
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आजकल कोरोना की वजह से उनके राज्य की स्थिति चिंताजनक है. खासतौर से उस अहमदाबाद की, जहाँ कोरोना की जानकारी के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के स्वागत के लिए बड़ी संख्या में देशी—विदेशी लोग जुटाए गए थे.’’ चौधरी ने कहा,‘‘ आदित्यनाथ शासन की कमियों को उजागर करने वालों को उत्पीड़ित करने, जेल में बन्द कराने और दुखी श्रमिकों की मदद करने वालों के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज कराने में मसरूफ हैं. दुर्भाग्य यह है कि लोकतन्त्र को शर्मिंदा करने वाले इस कार्य को मुख्यमंत्री अपना गौरव मान बैठे हैं. यही सूबे की बदहाली का मुख्य कारण है.’’
अफसरों का ट्रांसफर मनोबल गिराने वाला
कोरोनाकाल में प्रशासनिक स्थायित्व की आवश्यकता सामान्यकाल से अधिक है, ऐसे में ADG व IG स्तर के 10 उच्चाधिकारियों का तबादला पुलिस के मनोबल को गिराने का काम है.
सरकार अपनी नीतिगत असफलता व केंद्र-राज्य के बीच समन्वय की कमी से बिगड़ी क़ानून-व्यवस्था का आरोप अधिकारियों पर लगा रही है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 27, 2020
योगी सरकार ने 10 IPS अफसरों का तबादला किया है. जिस पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा ''कोरोनाकाल में प्रशासनिक स्थायित्व की आवश्यकता सामान्यकाल से अधिक है, ऐसे में ADG व IG स्तर के 10 उच्चाधिकारियों का तबादला पुलिस के मनोबल को गिराने का काम है. सरकार अपनी नीतिगत असफलता व केंद्र-राज्य के बीच समन्वय की कमी से बिगड़ी क़ानून-व्यवस्था का आरोप अधिकारियों पर लगा रही है.''
Source : Bhasha