सुपरटेक समूह ने न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) को सूचित किया है कि उसे नोएडा स्थित अपने दो बहुमंजिला अवैध टावरों को गिराने के लिए निर्धारित तीन महीने से अधिक समय की जरूरत होगी. सूत्रों ने कहा कि रियल एस्टेट समूह ने नोएडा के सेक्टर 93ए में दो निर्माणाधीन टावरों को गिराने संबंधी समीक्षा के लिए शीर्ष विशेषज्ञों की राय का हवाला दिया है. सूत्रों ने यह भी कहा कि सुरक्षित तरीके से इस टावर को गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय विस्तार की मांग करेगा. हालांकि, शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि नोएडा अपने दम पर समय सीमा नहीं बढ़ा सकता है और डेवलपर को शीर्ष अदालत के आदेश का पालन करना चाहिए या किसी भी बदलाव के लिए उससे संपर्क करना चाहिए. अदालत ने 31 अगस्त को इन दो टावरों को गिराने का आदेश दिया था. इस टावर को गिराने के लिए तीन महीने की समय सीमा निर्धारित की थी, जो 30 नवंबर को समाप्त हो रही है.
मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, सुपरटेक ग्रुप ने नोएडा को सूचित किया है कि उसने टावरों को सुरक्षित तरीके से गिराने के लिए शीर्ष डेमोलिशन एक्सपर्ट और एजेंसियों से संपर्क किया है. ताकि आसपास के अन्य टावरों और आवास परियोजनाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचे. सूत्र ने कहा, डेमोलिशन एक्सपर्ट की राय का हवाला देते हुए डेवलपर ने नोएडा को सूचित किया है कि वह सुरक्षित तरीके से दोनों टावरों को गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय बढ़ाने की मांग करेगा. माना जा रहा है कि रियल एस्टेट समूह ने इस काम के लिए विभिन्न कंपनियों के पांच व्यक्तिगत डेमोलिशन एक्सपर्ट को काम पर रखा है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि काम पूरा करने में पांच महीने तक लग सकते हैं. इनमें कार्य योजना के विश्लेषण और विकास के लिए दो महीने और इसके बाद तीन महीने सुरक्षित गिराने और मलबे को साफ करने में लग सकते हैं.
नोएडा प्राधिकरण ने कहा, करना होगा सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन
नोएडा की सीईओ रितु माहेश्वरी ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक समूह को तीन महीने के भीतर टावरों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया है. यह उनकी जिम्मेदारी है और नोएडा इससे आगे खुद को कोई समय नहीं दे सकता. "सुपरटेक ग्रुप ने निर्देशों के अनुसार इमारतों को ध्वस्त करने के लिए कोई स्पष्ट विस्तृत योजना भी प्रस्तुत नहीं की है. माहेश्वरी ने कहा कि नोएडा ने उन्हें जल्द से जल्द ऐसा करने का निर्देश दिया है. उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करना होगा या अगर वे कोई बदलाव चाहते हैं तो सुप्रीम कोर्ट जाना होगा. उन्होंने कहा कि यह मामला रियल्टी फर्म सुपरटेक से संबंधित है, जो अपने एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट परिसर में 900 से अधिक फ्लैटों और टावरों में 21 दुकानों के साथ अवैध रूप से दो 40 मंजिला टावरों का निर्माण कर रहा है.'
नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए थे टावर
हाउसिंग प्रोजेक्ट के निवासियों ने दावा किया कि नियमों के उल्लंघन में बनाए जा रहे ट्विन टावरों के लिए उनकी सहमति नहीं ली गई जिसके बाद वे अदालत चले गए. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2014 में ट्विन टावरों को गिराने का आदेश दिया था और सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में फैसले को बरकरार रखा था. हालांकि, इन टावरों में अपना पैसा लगाने वाले खरीदारों को उम्मीद थी कि उनके हितों की रक्षा की जाएगी, यहां तक कि सुपरटेक समूह ने सुप्रीम कोर्ट में "संशोधन आवेदन" दायर किया है. शीर्ष अदालत के फैसले और उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशों के आलोक में नोएडा ने भी मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है और अपने स्वयं के 26 अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है, जिनमें सेवानिवृत्त, सुपरटेक समूह के चार निदेशक और दो आर्किटेक्ट शामिल हैं.
HIGHLIGHTS
- दोनों टावरों को गिराने में तीन महीने से अधिक समय की बात कही
- कहा- सुप्रीम कोर्ट से और समय विस्तार की मांग करेगा
- सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को इसे गिराने का आदेश दिया था