उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने साल 1990 में कार सेवकों पर गोली चलाने के मामले में मुलायम पर FIR दर्ज करने की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने याचिका खारिज करने की वजह बताते हुए कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने में देरी करते हुए तय समय सीमा से ज्यादा समय लिया गया है. बता दें कि याचिकाकर्ता राणा संग्राम सिंह ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने में 277 दिनों का समय ले लिया.
राणा संग्राम सिंह ने अपनी याचिका में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने 6 फरवरी 2014 को मैनपुरी में आयोजित एक जनसभा में कहा था कि उनके आदेशों के बाद ही पुलिस ने 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलाई थीं. संग्राम सिंह के वकील विष्णु जैन ने बताया कि उन्होंने मुलायम सिंह के उस बयान के खिलाफ लखनऊ के पुलिस स्टेशन में हत्या और आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज कराने गए थे. लेकिन लखनऊ पुलिस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से मना कर दिया था.
पुलिस के इंकार करने के बाद संग्राम सिंह ने लखनऊ के एक निचली अदालत में गए, जहां उन्होंने पुलिस द्वारा FIR दर्ज न करने के मामले में याचिका दाखिल की. संग्राम सिंह की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया. जिसके बाद संग्राम सिंह इलाहाबाद होई कोर्ट पहुंचे, लेकिन प्रदेश की सर्वोच्च अदालत ने भी संग्राम सिंह को कोई राहत नहीं दी और 3 मई 2016 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी. जिसके बाद वे अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.
गौरतलब है कि 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के समर्थन में हजारों कारसेवक वहां इकट्ठा हुए थे. जिन पर पुलिस ने फायरिंग कर दी थी. इस फायरिंग में कई कारसेवक मारे गए थे.
Source : News Nation Bureau