SC: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को भेजा नोटिस, दो सप्ताह में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को नोटिस भेजा है. उन्होंने दो सप्ताह में मुस्लिम पक्ष से जवाब मांगा है. हिंदू पक्ष की याचिका पर सर्वोच्च अदालत में शुक्रवार को सुनवाई हुई.

author-image
Jalaj Kumar Mishra
New Update
Supreme Court File Pic

Supreme Court (File)

Advertisment

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर से जुड़े मामलों में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. दरअसल, हिंदू पक्ष ने याचिका दायर करते हुए मांग की थी कि ज्ञानवापी से जुड़े सभी 15 मामलों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए जाएं. ताकि एक साथ ही सभी मामलों की सुनवाई हो सके. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद मुस्लिम पक्ष को नोटिस जारी कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. 

अब आप यह खबर भी पढ़ें- Canada-India: ‘PM मोदी और जयशंकर को लेकर हमारे पास कोई सबूत नहीं’, ठिकाने आई ट्रूडो सरकार की अक्ल

बता दें, वर्तमान में ज्ञानवापी से जुड़े नौ केस वाराणसी जिला जज और छह केस सिविल जज सीनियर डिवीजन, वाराणसी की अदालत में चल रहे हैं. याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी सहित तीन अन्य महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में पिछले माह याचिका दायर की थी.

उन्होंने कहा था कि ज्ञानवापी से जुड़े कुछ केस सिविल जज सीनियर डिवीजन और जिला जज की अदालत में लंबित है. पुनर्विचार याचिकाओं सहित कुछ और मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहे हैं. कुछ याचिकाएं जिला जज के यहां भी है. वहीं मूल वादों की सुववाई जिला जज कर रहे हैं. ऐसे में विरोधाभासी आदेश आ सकता है. इस वजह से विरोधाभासी आदेश आने की आशंका है.

अब आप यह खबर भी पढ़ें- Weather Update: छह राज्यों में घने कोहरे और ठंड का अलर्ट, इन प्रदेशों में होगी झमाझम बारिश; जानें आपके प्रदेश का हाल

याचिकाओं में कई अहम सवाल भी हैं

उन्होंने मांग की सभी मुकदमे इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए जाएं. याचिका में मांग की गई थी कि हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ सभी मामले सुनकर फैसला करें.  याचिकाकर्ताओं ने बताया कि इन्हीं 15 मुकदमों में कानून के सबसे महत्वपूर्ण सवाल भी शामिल हैं. इन केस का फैसला बड़ी अदालत को ही करना चाहिए.

ये हैं वे अहम सवाल

15 मुकदमों में ASI संबंधित सवाल, हिस्टोरिकल फेक्ट्स, संविधान के अनुच्छेद-300 ए की व्याख्या और और हिंदू-मुस्लिम पर्सनल लॉ जैसे अहम सवाल शामिल हैं. इसी वजह से सभी 15 मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट में ही होनी चाहिए.

अब आप यह खबर भी पढ़ें- ‘75 साल मजहब का चूरन हमने बेचा, अब सारे मुस्लिम देश भारत की तरफ’, पाकिस्तानी एक्सपर्ट का विदेश मंत्री पर फूटा गुस्सा

Advertisment
Advertisment
Advertisment