सुप्रीम कोर्ट ने मुलायम सिंह, उनके बेटों अखिलेश और प्रतीक यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. शीर्ष अदालत ने कहा, "हम जानना चाहते हैं कि इस मामले का क्या हुआ? हम जानना चाहेंगे कि क्या मामला दर्ज किया गया है?" शीर्ष अदालत ने CBI पर चुटकी ली. मामले की सुनवाई दो जजों की बेंच कर रही है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता शामिल हैं.
पीठ राजनीतिक कार्यकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी की याचिका पर सुनवाई कर रही है. 2005 में चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार की रोकथाम के तहत मुलायम सिंह यादव, अखिलेश, उनकी पत्नी डिंपल यादव और मुलायम सिंह के दूसरे बेटे प्रतीक यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए उचित कार्रवाई करने के लिए सीबीआई को निर्देश देने के लिए शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दायर की थी.
शीर्ष अदालत ने 1 मार्च 2007 के अपने फैसले में सीबीआई को आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था. बाद में 2012 में, अदालत ने अपने फैसले के खिलाफ मुलायम सिंह, अखिलेश और प्रतीक की पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था और सीबीआई को निर्देश दिया था कि उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच आगे बढ़ाई जाए.
हालांकि, कोर्ट ने डिंपल यादव की समीक्षा याचिका पर सीबीआई को उनके खिलाफ जांच न करने को कहा था, क्योंकि तब वह कोई पद नहीं संभाल रही थीं. अदालत ने 1 मार्च, 2007 के अपने आदेश को भी संशोधित किया था और सीबीआई को आदेश दिया था कि वह अदालत के समक्ष स्थिति रिपोर्ट दायर करे और सरकार को नहीं.
याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया है कि CBI ने अब तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है, जबकि मार्च 2007 में शुरुआती सबूतों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने केस दर्ज करने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने आगमी चुनाव में इसके राजनीतिक लाभ की आशंका का हवाला देकर नोटिस को फिलहाल निष्प्रभावी रखने की मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव के वकील की मांग ठुकरा दी है.
Source : Arvind SIngh