मुमुक्षु आश्रम के स्वामी चिन्मयानंद को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया. कोर्ट ने चिन्मयानंद को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. आज हम आपको बताते हैं कि सबसे पहले किसने चिन्मयानंद पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे. पीड़िता ने आरोप लगाया था कि स्वामी ने उसके साथ दुष्कर्म किया था. उसने तो यह भी कहा था कि उसे जेल भेजकर ही दम लूंगी. पीड़िता ने बताया, 'चिन्मयानंद ने दो बार मेरा जबरन गर्भपात करवाया. उसने दर्जनों लड़कियों का जीवन बर्बाद कर दिया. मैं उतारूंगी स्वामी का नकाब. हमेशा गुंडे मेरे पीछे लगे रहते थे. बूढ़ा स्वामी लड़कियों के बगैर नहीं रह सकता. उससे बड़ा मक्कार और जालिम आपको नहीं मिलेगा. उसने अपनी चचेरी बहन का भी रेप किया और फिर भाग गया. स्वामी जी ने आज तक किसी को साध्वी नहीं बनाया. वह इतना दुष्ट है कि मेरे सारे प्रमाणपत्रों को जला दिया.'
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पीड़िता ने एक युवक से शादी कर ली है और उन्मुक्त जीवन जी रही है. 10 सालों तक चिन्मयानंद के साथ रहने वाली साध्वी ने उन पर बलात्कार करने, जबरन दो बार गर्भपात कराने और जान से मारने से संबंधित रिपोर्ट शाहजहांपुर थाने में लिखाई थी. वर्षों पहले पीड़िता ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मुझे पता चल गया था कि मुझे संन्यास नहीं मिलना है, तो त्रिशंकु जीवन जीने से क्या फायदा! मैंने वैदिक रीति से विवाह किया और इसकी सार्वजनिक घोषणा भी की.
पीड़िता ने कहा, मैं स्वामी के पास संन्यास ग्रहण करने गई थी. स्वामी मुझसे गृहिणी की तरह आश्रम की देखभाल कराना चाहते थे. आगंतुकों की सेवा करना और उनकी सेवा करना. फिर मैंने जब राजनीति में जाने की बात की, तो वे भड़क गए और मुझे आश्रम छोड़ने को कह दिया.
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पीड़िता ने बताया कि स्वामी कई मामलों में आरोपी है. उसने मेरे साथ तो बलात्कार किया ही, दो बार जबरन गर्भपात भी कराया. उसने हमें बर्बाद कर दिया. स्वामी ने दर्जनों लड़कियों को बर्बाद किया है. मैं उतारूंगी उसका नकाब. वह वहशी है, दरिंदा है और मानसिक रूप से बीमार भी. 4 से 6 साल की बच्चियों के साथ भी वह कुकर्म करता है.
पीड़िता ने कहा था, मैं आश्रम में कैसे रह रही थी, इसका अंदाजा दूसरा कोई नहीं लगा सकता. भीतर से उबल रही थी, लेकिन गुंडों के डर से चुप थी. पीड़िता ने यह भी बताया था कि स्वामी की सबसे बड़ी कमजोरी लड़की है. बुड्ढा लड़की के बगैर नहीं रह सकता. उसके सभी आश्रमों में लड़कियां हैं. लड़कियों को गर्भवती करके उसकी शादी कभी किसी गरीब ब्राह्मण से, तो कभी नौकर से, कभी गनर से करा देता है.
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हरिद्वार के आश्रम का अनुभव साझा करते हुए पीड़िता ने बताया था कि 2010 में वहां रुद्र यज्ञ हो रहा था. स्वामी ने वहां बैठने के लिए हमें भेजा. आचार्य ने हमें बैठने से मना किया. उसने कहा था कि सरस्वती परंपरा में महिलाएं संन्यास नहीं लेतीं. उसके बाद स्वामी चुप हो गए. मै समझ गई.
पीड़िता ने बताया था, स्वामी का आश्रम देश का पहला संस्थान है, जहां महिलाएं रहती हैं, लेकिन महिला वार्डेन नहीं रखी जाती. जब वह मेरे प्रमाणपत्रों को जला रहा था, तो मैंने उसके पैर पकड़े थे, तब वह राक्षस बन गया था.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो