बिकरू कांड में आरोपी इनामी बदमाश ने शनिवार को चौबेपुर थाने जाकर नाटकीय ढंग से पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया. उसकी पत्नी और बेटी भी साथ आए थे. पुलिस एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उमाकांत उर्फ गु्ड्डन उर्फ वउवन ने गले में तख्ती लटका रखी थी, जिस पर बिकरू में पुलिसकर्मियों की बर्बर हत्या में शामिल होने की स्वीकारोक्ति लिखी थी. साथ ही पुलिस से माफी भी मांगी गयी थी.
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अधिकारी ने बताया कि तख्ती पर लिखा हुआ था, 'मेरा नाम उमाकांत शुक्ला उर्फ वउवन उर्फ गुडडन पुत्र मूलचंद शुक्ला निवासी बिकरू थाना चौबेपुर है. मैं बिकरू कांड में विकास दुबे के साथ शामिल था. मुझे पकड़ने के लिए रोज पुलिस द्वारा तलाशी की जा रही है, जिससे मैं बहुत डरा हुआ हूं. हम लोगों ने जो घटना की, उसका हमें बहुत आत्मग्लानि है. मैं खुद पुलिस के सामने हाजिर हो रहा हूं. मेरी जान की रक्षा की जाए. मुझ पर रहम किया जाए.'
जिसके बाद पुलिस ने उसे तत्काल हिरासत में ले लिया. उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) और कानपुर पुलिस को उमाकांत की बिकरू कांड यानी तीन जुलाई के बाद से ही तलाश थी. उसकी तलाश में कई ठिकानों पर छापेमारी की गयी थी लेकिन वह पकड़ा नहीं गया. उमाकांत के नाटकीय ढंग से आत्मसमर्पण के बाद कानपुर पुलिस ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि पुलिस की लगातार छापेमारी का नतीजा है कि उमाकांत पर दबाव बना और उसने आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस ने दावा किया है, '50 हजार रुपये के इनामी बदमाश उमाकांत ने अपना अपराध कबूला है और पूछताछ के दौरान उसने पुलिस को बताया कि उसने कुख्यात अपराधी विकास दुबे और उसके साथियों अमर दुबे, अतुल दुबे, प्रेम कुमार, प्रभात मिश्रा के साथ मिलकर पुलिस पार्टी पर अंधाधुंध गोलियां चलायी थीं.'
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प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक उमाकांत ने बताया कि पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए उसने खुद को दोषी माना और तय किया कि वह आत्मसमर्पण करेगा. उमाकांत उन नौ आरोपियों में से एक है, जिन्हें अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है या फिर जिन्होंने आत्मसमर्पण किया है. छह अन्य आरोपियों की तलाश जारी है.
इससे पहले दया शंकर अग्निहोत्री, श्यामू बाजपेयी, शशिकांत, जेसीबी ड्राइवर मोनू और शिवम दुबे सहित विकास के कई सहयोगियों को या तो एसटीएफ या फिर कानपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है. गोपाल सैनी ने कानपुर देहात में एक विशेष अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया था.
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छोटू शुक्ला, शिव तिवारी, विष्णुपाल यादव, रामू बाजपेयी, हीरू दुबे और बाल गोविन्द अभी भी फरार हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है. कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे और उसके सहयोगियों प्रभात मिश्रा, अमर दुबे, बउवा दुबे, प्रेम कुमार पाण्डेय और अतुल दुबे को पुलिस ने तीन जुलाई के बाद से अलग अलग मुठभेडों में मार गिराया है.
Source : Bhasha