Green Hydrogen Cruise: देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाला क्रूज वाराणसी पहुंच चुका है. इस क्रूज के जरिए एक नया ट्रायल शुरू गया है. आज हम इस खास रिपोर्ट में इस 50 सीटर क्रूज की खूबियों को बताने वाले हैं. ग्रीन हाइड्रोजन को भविष्य के ईंधन के रूप में देखा जा रहा है. ये क्रूज कोलकाता के कोच्चि शिपयार्ड से जलमार्ग के जरिए काशी पहुंचा है. इस हाइड्रोजन क्रूज को रामनगर के मल्टीमॉडल टर्मिनल पर लाया गया है. क्रूज डबल डेकर है. ये कई सुविधाओं से लैस है. इसके संचालन को लेकर वाराणसी के रामनगर मल्टी मॉडल टर्मिनल पर अस्थाई हाइड्रोजन प्लांट स्थापित किया जाएगा. गौरतलब है कि ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाले इस क्रूज में न तो वायु प्रदूषण होगा और न ही इससे ध्वनि प्रदूषण होगा. गंगा में इस हाइड्रोजन क्रूज के संचालन से गंगा को भी किसी तरह का नुकसान नहीं होगा.
ये भी पढे़ं: Weather Update: दिल्ली-NCR को कब उमस से मिलेगी राहत? IMD ने जारी किया अपडेट
10 करोड़ की लागत से तैयार किया गया
देश का पहला ग्रीन हाइड्रोजन क्रूज कैसे चलेगा और ये किस तरह से काम करेगा और पूरा क्रूज अंदर से कैसे बना है आइये जानने का प्रयास करते हैं. देश के पहले हाइड्रोजन क्रूज में जानिए भविष्य के इस इंधन से कैसे चलेगा. ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाले इस क्रूज को 10 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है. 50 सीटर के इस क्रूज का वजन 20 टन है. ये 5.80 मी.चौड़ा और 28 मी.लंबा है. 20-25 किमी/घंटे की रफ्तार से इसे चलाया जा सकता है.
महाकुंभ के दौरान चलाया जा सकता है
हाइड्रोजन ऊर्जा से चलने वाले इस क्रूज में इलेक्ट्रिक इंजन भी लगाया गया है. इस तरह से हाइड्रोजन फ्यूल खत्म होने की स्थिति में इसे इलेक्ट्रिक इंजन से चलाया जा सकता है. फिलहाल ये वाराणसी में अभी अपने 6 माह के ट्रायल पूरा करने वाला है. इसके बाद ये कहा तक चलाया जायेगा और किस तरह से पर्यटन विभाग इसका उपयोग करेगा. इस पर मंथन होगा. ऐसे कयास लगााए जा रहे हैं कि हाइड्रोजन जलयान काशी-प्रयागराज के बीच महाकुंभ के दौरान चलाया जा सकता है. ग्रीन हाइड्रोजन आज के समय में सबसे उपयुक्त और बिना प्रदूषण वाला ईंधन बताया गया है.
वाहनों में न ध्वनि प्रदूषण होती है, न ही वायु प्रदूषण
ग्रीन हाइड्रोजन को मिनी ट्रक और बसों में भी इस्तेमाल किया जाता है. इससे चलने वाले वाहनों में न ध्वनि प्रदूषण होती है, न ही वायु प्रदूषण. ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी का सबसे साफ सोर्स है. ग्रीन हाइड्रोजन एनर्जी बनाने के लिए पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग किया जाता है. इस प्रोसेस में इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग होता है. इलेक्ट्रोलाइन्सर रिन्यूएबल एनर्जी सोलर हवा के इस्तेमाल बनता है. ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग ट्रांसपोर्ट, केमिकल, आयरन समेत कई जगहों पर किया जा सकता है.
ये मील का पत्थर बनेगा
वाराणसी पहंचने के बाद देश के पहले ग्रीन हाइड्रोजन क्रूज को देखने और इसकी चर्चा लगतार हो रही है. वाराणसी में जो भी इसे देख रहा है वो इसके प्रति बेहद आकर्षित हो रहा है. सभी का मानना है की ये एनर्जी का नया श्रोत ट्रायल के बाद काशी से एक नया अध्याय शुरू करेगा और ये मील का पत्थर बनेगा. इसलिए सभी इसके लिए उत्साहित हैं. ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाला ये क्रूज फिलहाल अभी 6 महीने के ट्रायल पर है. इसके बाद ये तय होगा की ये किस तरह से और कैसे चलेगा.
देश और दुनिया की लेटेस्ट खबरें अब सीधे आपके WhatsApp पर, News Nation के WhatsApp Channel को Follow करने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: https://www.whatsapp.com/channel/0029VaeXoBTLCoWwhEBhYE10
Source : News Nation Bureau