इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पूर्व में कोई अपराध दर्ज नहीं है तो भी गिरोह बंद कानून के तहत कार्यवाही की जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि अभियोग कार्यवाही के लिए जरूरी नहीं है कि कोई एफआईआर दर्ज हो और गिरोह की सारिणी बनी हो. कोर्ट ने कहा कि भले ही डर से कोई प्राथमिकी दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हो. अपराधी के क्रियाकलाप गिरोह की परिभाषा में आ रहे हो तो बिना किसी केस दर्ज हुए गिरोह बंद कानून के तहत अभियोग की कार्यवाही की जा सकती है.
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कोर्ट ने कहा कि प्रश्नगत मामले में सामूहिक दुष्कर्म किया गया. एफआईआर दर्ज न करने की धमकी दी गई. इतनी दहशत फैलाई कि प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी. ऐसे अपराध के लिए गिरोह बंद कानून के तहत कार्यवाही सही है. आरोपियों ने लोक व्यवस्था अस्त-व्यस्त की. समाज विरोधी गतिविधियों में लिप्त होकर भय का माहौल बनाया. कोर्ट ने दर्ज आपराधिक मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा में फैसला सुनाया और इरफान व फहीम की याचिका खारिज कर दी. इनके खिलाफ रामपुर के कोतवाली में एफआईआर दर्ज है. दोनों आरोपी ग्राम टांडा खेड़ा, अजीमनगर रामपुर के निवासी हैं और दो अपराधों में लिप्त है. गैंग बनाकर अपराध करते हैं और दहशत फैला रखी है. कोर्ट ने गिरोह बंद कानून के उपबंधों का परिशीलन किया और कहा कि क्रियाकलाप गैंग अपराध के है तो बिना केस के भी गैंग्स्टर एक्ट के तहत कार्यवाही की जा सकती है.