प्रवासी मजदूरों (migrant workers) के लिए इस समय हर तरफ से आफत ही आफत है. सार्वजनिक वाहनों की बंदी के कारण प्रवासी पैदल ही अपने घरों को लौट रहे हैं. हालांकि कुछ मजदूरों ट्रकों के सहारे घर की दूरी तय कर रहे हैं. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लागू होने के बाद से घर लौटने वाले प्रवासी मजदूरों का सड़कों पर हुजूम उमड़ा है. लॉकडाउन के बीच जहां पूरे देश में हजारों मजदूर पैदल अपने घरों को लौट रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi adityanath) ने सभी जिलों के अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि असुरक्षित तरीके से यात्रा करने वालों को रोका जाए और जिन ट्रकों के जरिए मजदूरों को ढोया जा रहा है, उनके मालिकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए. लेकिन गोरखपुर (Gorakhpur) में फिलहाल मुख्यमंत्री के इस फरमान का कोई असर दिखता नजर नहीं आ रहा है.
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गोरखपुर-लखनऊ हाईवे पर आज सुबह से दर्जनों ट्रकों के जरिए हजारों की संख्या में लोग बिहार और दूसरे राज्यों के लिए जा रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि सरकार के दावों और असलियत में काफी अंतर है, यही कारण है कि इनको इस बदहाली में यात्रा करना मजबूरी बन गया है. मुंबई से दो से तीन लाख रुपए में ट्रकों को बुक करके जानवरों की तरह उसमें भरकर अपने गांव जाने को मजबूर हैं. ट्रेन से यात्रा के लिए इन्होंने भी आवेदन किया था, लेकिन जब इनको कोरे आश्वासनों के सिवा कुछ भी हासिल नहीं हुआ तो यह इस मजबूरी में अपने गांव ट्रकों में भरकर जाने को मजबूर हैं. वहीं ट्रक संचालकों का कहना है कि वह किराए पर बुक करके इन श्रमिकों को उनके गांव छोड़ने जा रहे हैं और उनपर सरकार के कार्यवाई के आदेश की कोई जानकारी नहीं है.
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गौरतलब है कि औरैया में हुए दर्दनाक हादसे के बाद योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए कि राज्य के सीमाक्षेत्रों में कोई भी प्रवासी कामगार/श्रमिक पैदल अथवा बाइक या ट्रक आदि अवैध तथा असुरक्षित वाहन से न आने पाए. यदि ऐसा पाया जाए तो उक्त अवैध वाहन को तत्काल जब्त करते हुए कानूनी कार्यवाही की जाए. उन्होंने कहा कि पुलिस पैदल चलने वालों को जागरूक करते हुए उन्हें रोके. उन्होंने इन निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने प्रवासी कामगारों/श्रमिकों से अपील की कि वे स्वयं तथा अपने परिवार को जोखिम में डालकर पैदल अथवा अवैध व असुरक्षित वाहन से घर के लिए यात्रा न करें.
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बता दें कि औरैया जिले में शनिवार सुबह ट्रक और एक डीसीएम मेटाडोर (ट्रक से छोटा वाहन) की टक्कर में 24 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 36 अन्य मजदूर घायल हो गए. इन दोनों वाहनों में ज्यादातर पश्चिम बंगाल और झारखंड के मजदूर सवार थे.
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