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24 को देखा जाएगा रमजान का चांद, 25 को पहला रोजा, मौलाना खालिद रशीद ने जारी की एडवाइजरी

मौलाना खालिद रशीद ने इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की तरफ से एक एडवाइज़री जारी की है. जिसमें लॉकडाउन के रूल्स का पालन करना है.

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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रमज़ान को लेकर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने एडवाइजरी जारी की है. 24 अप्रैल को रमज़ान का चांद देखा जाएगा. 24 को दिखेगा चांद तो उसी दिन से तराबी शुरू होगी. 25 अप्रैल को पहला रोजा होगा. मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि पहली बार ऐसा हो रहा है कि रमज़ान का महीना ऐसे हालात में आ रहा है. पूरा मुल्क रमज़ान के दौरान लॉकडाउन होगा और लोग मस्जिद में आज़ादी से नमाज़ पढ़ने नहीं जा सकेंगे. मौलाना खालिद रशीद ने इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की तरफ से एक एडवाइज़री जारी की है. जिसमें लॉकडाउन के रूल्स का पालन करना है. 

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घर में रहकर पढ़ें नमाज

मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि हर मुसलमान रोज़ा ज़रूर रखें. जो लोग मस्जिद में रहते हैं, सिर्फ वही मस्जिद में रहें. 4 से 5 लोगों से ज़्यादा मस्जिद में नहीं रहेंगे. मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि इफ्तार को गरीबों में बांटा जाए. इफ्तार पार्टी का पैसा भी गरीबों को दिया जाए. मौलाना खालिद रशीद जो मस्जिद में 4 से 5 लोग रहते हैं, वही तराबी पढें. कोरोना वायरस इस वक्त पूरी दुनिया मे अपना पैर पसार चुका है और सभी देश इस बीमारी से लड़ने में जुटे हुए हैं. भारत भी इस बीमारी की चपेट में है और इस वक्त पूरे देश मे लॉकडाउन है और लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं. रमजान का पाक महीना 24 अप्रैल से 23 मई तक होगा, और रमजान खत्म होने के साथ ही ईद-उल-फितर का त्यौहार मनाया जाएगा.

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लॉकडाउन में रमजान

रमजान को अब कुछ ही दिन बचे हैं और अभी भी पूरे देश मे लॉकडाउन है. सरकार अभी इस पर विचार कर रही है कि लॉकडाउन को आगे बढ़ाया जाए या नहीं. ऐसे में मौलानाओं का कहना है की अगर ऐसा ही चलता रहा तो पूरी दुनिया में पहली बार होगा, जब रमजान के वक्त पाबंदी होगी और वह भी एक बीमारी के डर से. इस स्थिति में लोग रमजान के वक्त घरों में नमाज अदा करेंगे, और मस्जिदों में तालाबंदी होगी, कोई नागरिक घर से बाहर नहीं होगा.

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1400 साल पहले हुजूर के समय की बात करूं

जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने बताया, "मेरी जानकारी के मुताबिक कभी ऐसा नहीं हुआ. जिस वक्त प्लेग फैला था, तब भी ऐसा नहीं हुआ. लोगों में उस वक्त भी डर था. 1400 साल पहले हुजूर के समय की बात करूं, तब भी प्लेग के वक्त लोग मस्जिद में आते थे और यह तब एक शहर, कस्बे तक ही सीमित था. दुनिया की तारीख में मुझे याद नहीं और न ही मैंने कभी पढ़ा कि कोई ऐसी बीमारी आई हो, जिसकी वजह से लोगों रमजान के वक्त मस्जिदों को छोड़ कर घरों में नमाज पढ़ी हो."

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