हमारे भारत देश में आस्था को लेकर कई चमत्कार देखने को मिलते रहते हैं कई ऐसे मंदिर और धार्मिक स्थल भी हैं जिन पर लोगों के लिए विश्वास कर पाना मुश्किल जरूर होता है, लेकिन जब उन की हकीकत से वह इंसान गुजरता है तो उस चमत्कार को नमस्कार भी करता है. ऐसी ही एक आस्था की तस्वीर आपको देखने को मिलेगी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर जहां इटावा जनपद के बीहड़ में एक ऐसा मंदिर जहां गुजरने वाले यात्री व ग्रामीण बीड़ी वाले बाबा के मंदिर में दर्शन कर बीड़ी जरूर चढ़ाते हैं.
यहां के श्रद्धालुओं का मानना है कि जो यहां से गुजरता है और बाबा के दर्शन नहीं करता उसके साथ अनहोनी के आसार भी होते हैं. अगर कोई घमंड के साथ निकल जाता है तो उनकी गाड़ी खराब हो जाती है या कुछ न कुछ समस्या आ ही जाती है. आज हम आपको ऐसे ही बीड़ी वाले बाबा मंदिर की स्पेशल रिपोर्ट दिखाते हैं.
इटावा के चकरनगर क्षेत्र के बिंदवा खुर्द ग्राम पंचायत, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर लगा हुआ है. जो रोड इटावा से मध्यप्रदेश के भिंड के लिए जाती है. उस रोड पर 200 साल पुराने बीड़ी वाले बाबा का मंदिर है. इस मंदिर की कहावत यह है कि यहां जो भी वाहन निकलता है वह बीड़ी चढ़ाता है, तो उससे उसकी यात्रा सुगम होती है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के यात्री जो भी इस रूट से होकर निकलते हैं वह अपने बस, गाड़ी, ट्रैक्टर या मोटरसाइकिल जिस से भी निकलते हैं वह बीड़ी वाले बाबा के मंदिर पर मत्था टेकते हैं और यहां बीड़ी चढ़ाते हैं.
यात्रियों का कहना है कि अगर वह इस मंदिर पर बीड़ी नहीं चढ़ाते हैं तो उनको उनकी यात्रा में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है कुछ लोगों की तो गाड़ी भी खराब हो जाती है इस आस्था के चलते लोग यहां वर्षों से यही सिलसिले को आगे बढ़ाते जा रहे हैं. इस मंदिर में 20 अप्रैल 2012 से एक अखंड ज्योति भी जल रही है. इस मंदिर में रहने वाले श्री श्री 108 महंत रामदास (मौनी बाबा) करीब 12 साल से मौन व्रत रखे हुए हैं. वह सिर्फ यहां से गुजरने वाले राहगीरों को आशीर्वाद देते हैं.
ब्रजेन्द्र सिंह ( ग्रामीण ) ने बताया कि बीड़ी वाले बाबा का मंदिर करीब 200 साल पुराना है. यह सिद्ध स्थान है. यहां से जो भी राहगीर निकलते हैं, वह बीड़ी चढ़ाते हैं या पैसा चढ़ाते हैं. ऐसी आस्था है कि अगर यहां 2 सेकंड रुककर नहीं जाएंगे या फिर घमंड में निकल जाएंगे तो गाड़ी खराब हो जाती है या कुछ न कुछ समस्या आ ही जाती है.
वहीं यहां रहने वाले रामवीर सिंह ने बताया कि यह मंदिर काफी प्राचीन है और पुराना है. अगर यहां बीड़ी नहीं चढ़ाएंगे तो कुछ न कुछ परेशानी आ जाती है. हम यहां से जब भी निकलते हैं तो बीड़ी चढ़ाकर जाते हैं. कोई भी वाहन यहां से निकलता है और मंदिर के बारे में जानता है तो रुककर ज़रूर जाता है.
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यहां से गुजरने वाले राहगीर विष्णु कुमार ने बताया कि यह मंदिर काफी पुराना है. यहां से जो भी जाता है वह बीड़ी चढ़ाता है और अगर बीड़ी नहीं होती है तो पैसे चढ़ाकर जाता है. यहां अगर नमन करके न जाओ तो कुछ न कुछ अप्रिय घटना हो जाती है. वहीं एक और राहगीर ने बताया कि बाबा तम्बाकू और बीड़ी पीते हैं. इसलिए यहां लोग बीड़ी चढ़ाते हैं. शुरू से यहां बीड़ी चढ़ाई जाती है. ये नियम है कि यहां से चढ़ाकर जाओ और अगर बीड़ी नहीं है तो हाथ जोड़कर चले जाओ.