यूपी सरकार उत्तर प्रदेश के मदरसों का सर्वे कराने की तैयारी में है , इसको लेकर मदरसों में हड़कंप मचा हुआ है, मदरसे सर्वे से क्यों डर रहे हैं, क्या है मदरसों की जमीनी हकीकत , इसी बात का रियलिटी चेक करने के लिए है हम पूर्वांचल के सबसे बड़े मुस्लिम आबादी वाले शहर आजमगढ़ पहुंचे, आजमगढ़ के मदरसा इस्लामिया जमीअतुल कुरैश में हम पहुंचे, सरकार द्वारा ऐडेड ये अर्ध सरकारी मदरसा है, जहां टीचर्स की सैलरी तो सरकार देती है, जो कि हज़ारों में है, लेकिन इसका प्रबंधन निजी हाथों में है.
अर्ध सरकारी होने के बाद भी इस मदरसे की हालत कोई बहुत बेहतर नहीं थी. एक बड़े से हॉल में 6 क्लास एक साथ चल रही थी, 4th, 5th, 6th और 7th के स्टूडेंट एक साथ एक हॉल में बैठकर पढ़ाई कर रहे थे. क्लासेस को विभाजित करने के लिए दीवारों की जगह पर्दे लगाए गए थे. साथ ही जिस हॅाल में एक साथ 6 क्लासेस चल रही हो उसमें शोर किस कदर होगा यह साफ दिखाई और सुनाई दे रहा था. मदरसा प्रबंधन ने दावा किया कि वह मदरसे में हर तरह की शिक्षा देते हैं दीनी भी देते हैं दुनियावी तालीम भी देते हैं.
कहने को मदरसे में इंग्लिश, हिंदी, इतिहास की क्लास चल रही थी. लेकिन जब हमने कुछ बच्चों से इंग्लिश की पोयम हिंदी की कविता सुनाने के लिए कहा तो कोई भी बच्चा आत्मविश्वास के साथ ना तो इंग्लिश की पोयम सुना पाया और ना ही हिंदी की कोई कविता कह पाया. टीचर से बहुत ज्यादा पूछताछ और बच्चों से बातचीत करते देख प्रबंधन हम पर दबाव बनाने लगा कि जल्दी से आप अपना कार्यक्रम यहां से खत्म करें. क्योंकि हमारी मौजूदगी से बच्चों को डिस्टर्ब हो रहा है. कोई बच्चा मुख्यमंत्री का नाम नहीं बता पाया तो कोई राज्यपाल का नाम नहीं बता पाया.
HIGHLIGHTS
- न्यूज नेशन की टीम ने जाना आजमगढ़ में संचालित मदरसे का हाल
- एक हॅाल में चलती मिली 6 क्लास, बच्चों को अपने मुख्यमंत्री तक का नाम नहीं पता
- स्कूल टीचर कार्यक्रम खत्म करने का बना रहे थे दबाव
Source : News Nation Bureau