कमलेश तिवारी हत्याकांड के बाद पुलिस बेहद सतर्क है. हत्यारों की पहचान के बाद हर जगह उनकी तलाश की जा रही है. गुजरात के साथ ही मुंबई एटीएस, कर्नाटक एटीएस और यूपी एटीएस दोनों हत्यारे मोइनुद्दीन और अशफाक पर निगाह बनाए हुए हैं. इसके साथ ही यूपी पुलिस की तरफ से दोनों पर ढाई-ढाई लाख रुपये का इनाम भी घोषित कर दिया गया है. मगर अब इस हत्याकांड से जुड़े कई सुरागों और दोनों हत्यारों की पहचान को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं, जिनसे पुलिसवाले भी हैरान हैं.
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दरअसल, इस हत्याकांड में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है और दोनों हत्यारों के बारे में पुलिस के हाथ सबूत लगते जा रहे हैं. लेकिन सवाल यह उठने लगे हैं कि आखिर सूरत से लेकर लखनऊ तक कमलेश की हत्या करने आए इन हत्यारों ने अपनी पहचान छिपाने की कोशिश क्यों नहीं की ? अभी तक पुलिस को जितने भी सुराग मिले हैं, उनके दोनों हत्यारों ने अपनी असली पहचान दर्शायी है. राजधानी लखनऊ के जिस होटल (खालसा-इन) में ये हत्यारे ठहरे थे, उसमें उन्होंने आईडी के तौर पर अपना आधार कार्ड दिया.
सबसे बड़ा सवाल यह भी उठता है कि इस हत्याकांड को अंजाम देने के बाद दोनों हत्यारे अपना सामान होटल के कमरे में ही छोड़कर क्यों चले गए. बता दें कि रविवार को लखनऊ के होटल में पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल किया गया चाकू, खून से सने भगवा कपड़े, बैग, शेविंग क्रीम, ब्लेड समेत कई और चीजें भी मिलीं. इतना ही नहीं, सूरत की जिस दुकान से मिठाई खरीदी गई थी, वहां भी उन्होंने बिल बनवाया. इसके अलावा दोनों शूटरों का कानपुर कनेक्शन भी सामने आया है, जहां से उन्होंने एक सिमकार्ड खरीदा था. यह सिम कार्ड भी हत्यारों ने असली नाम और आईडी से ही खरीदा था.
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शाहजहांपुर में भी दोनों हत्यारे देखे गए हैं. इनोवा गाड़ी से रेलवे स्टेशन की ओर जाते हुए दोनों सीसीटीवी में कैद हुए हैं. अभी तक पुलिस ने अपराधियों की तलाश के लिए 60 से अधिक कैमरों की फुटेज खंगाली हैं, जिनमें से तिवारी की हत्या करने वाले दोनों शूटर 25 से ज्यादा फुटेज में दिखाई दिए हैं. जिसमें सबसे बड़ी बात यह है कि मोइनुद्दीन और अशफाक इन सीसीटीवी फुटेजों में कहीं भी अपना चेहरा छिपाते हुए नजर नहीं आए. इन सब के बावजूद पुलिस अभी तक कमलेश तिवारी के हत्यारों को पकड़ नहीं सकी है.
Source : डालचंद