राम मंदिर (Ram Mandir) भूमि पूजन के लिए 5 अगस्त का दिन शुभ बताया गया है. इस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) राम मंदिर निर्माण के लिए की पहली ईंट रखेंगे. भूमि पूजन के लिए अयोध्या में तैयारी शुरू हो चुकी है. इसी बीच मंदिर निर्माण को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य रामेश्वर चौपाल ने कहा है कि रामजन्मभूमि के इतिहास को सिद्ध करने के लिए जितनी लंबी लड़ाई कोर्ट में लड़नी पड़ी है, उससे यह बात सामने आई है कि अब जो मंदिर बनवाएंगे, उसमें एक 'टाइम कैप्सूल' बनाकर के 2000 फीट नीचे डाला जाएगा. भविष्य में जब कोई भी इतिहास देखना चाहेगा तो रामजन्मभूमि के संघर्ष के इतिहास के साथ तथ्य भी निकल कर आएगा ताकि कोई भी विवाद यहां उत्पन्न न हो सके.
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5 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अयोध्या (Ayodhya) राम मंदिर की आधारशिला रखे जाने के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा. एल एंड टी कंपनी नींव की खुदाई शुरू कर देगी. 200 मीटर की खुदाई के मिट्टी के सैंपल की रिपोर्ट अभी नहीं आई है. उसी के मुताबिक नींव की कितनी गहरी खुदाई होगी, यह तय होगा. मंदिर का प्लेटफार्म कितना ऊंचा होगा इसे मंदिर का ट्रस्ट तय करेगा. अभी तक इसकी ऊंचाई 12 फुट से 15 फुट के बीच करने की बात हो रही है.
A time capsule will be placed about 2000 ft down in ground at Ram Temple construction site. So, that in future anyone who wishes to study about history of the temple, he'll only get facts related to Ram Janmabhoomi: Kameshwar Chaupal, Member, Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust pic.twitter.com/4qZRnmCA0K
— ANI (@ANI) July 26, 2020
तीन महीने में तैयार होगी नींव
जानकारी के मुताबिक मंदिर के नींव का प्लेटफार्म तैयार करने में एल एंड टी कंपनी को करीब तीन महीने के समय लग सकता है. उसके बाद ही पत्थरों का काम शुरू होगा. मंदिर निर्माण की तकनीकी जानकारी देते हुए मंदिर के चीफ आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा ने बताया कि उनकी तरफ से पूरी तैयारी है. जैसे ही मंदिर के नींव का प्लेटफार्म तैयार हो जाएगा उनका काम शुरू होगा. उन्होंने बताया कि अयोध्या की मंदिर कार्यशाला में जो पत्थर तराश कर रखे गए हैं उनका पहले उपयोग होगा.
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बढ़ेगी कारीगरों की संख्या
राममंदिर के भूतल के लिए पत्थर तराशे जा चुके हैं. वहीं प्रथम तल के लिए भी लगभग पत्थर तलाशे जा चुके हैं. बाकी काम के लिए राजस्थान के भरतपुर से पत्थर मंगाया जाएगा. इसलिए मंदिर का निर्माण कार्य पूरा करने में साढ़े तीन साल लग सकते हैं। पत्थरों को तेजी तराशने के लिए कारीगरों की संख्या बढ़ानी पड़ेगी.
Source : News Nation Bureau