ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत मंत्री श्रीकांत शर्मा ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटेड की समीक्षा की. उन्होंने आगामी गर्मियों की दृष्टिगत संभावित ऊर्जा मांग के अनुरूप पारेषण क्षमता, आयात क्षमता व लो वोल्टेज की दिक्कत को दूर करने के लिए बनाये जा रहे उपकेंद्रों का काम शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए. उन्होंने निर्देशित किया कि जो भी पारेषण उपकेंद्र ओवरलोडिंग में हैं या 90 प्रतिशत क्षमता पर चल रहे हैं. उनकी क्षमता वृद्धि गर्मियों के शुरू होने से पहले ही कर ली जाए. उन्होंने बताया कि इस वर्ष सर्वाधिक मांग 23867 MW रही है. जिसे हमने सफलतापूर्वक पूरा किया है. हम लगातार अपने नेटवर्क में सुधार कर रहे हैं. अगले वर्ष की गर्मियों में निर्बाध आपूर्ति के लिए आवश्यक तंत्र विकसित करने का काम भी किया जा रहा है.
वर्ष 2021 की गर्मियों में अधिकतम ऊर्जा मांग 26500 MW रहने की उम्मीद है. इसके लिए आयात क्षमता और पारेषण क्षमता को क्रमशः14000 MW तथा 28000 MW तक बढ़ाया जाएगा. मौजूदा समय में आयात क्षमता जहां 13500 MW है वहीं ग्रिड की पारेषण क्षमता 25500 MW है. उन्होंने कहा कि इसके लिए कॉरपोरेशन चरणबद्ध ढंग से 52 नये ट्रांसमिशन उपकेंद्रों का निर्माण कराया जा रहा है. इनमें 13 उपकेंद्र पिछले माह चालू हो चुके हैं. शेष 39 उपकेंद्रों का काम 31 मार्च 2021 तक पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं. इससे प्रदेश के 50 से ज्यादा जनपदों के निवासियों को अनावश्यक ट्रिपिंग और लो वोल्टेज की समस्या से निजात मिल जाएगी. साथ ही निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए आवश्यक पारेषण नेटवर्क भी बन जायेगा.
उन्होंने निर्देशित किया कि 220 व 132 केवी उपकेंद्रों की पूरी क्षमता का उपयोग वितरण तंत्र द्वारा किया जाए. इसके लिए ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन दोनों की कारपोरेशन के अधिकारी संयुक्त रणनीति बनाकर काम करें. जिससे गर्मियों में लो वोल्टेज व ट्रिपिंग की समस्या न्यूनतम हो जाये. उन्होंने बताया कि कारपोरेशन 2025 तक आवश्यक मांग के अनुरूप पारेषण नेटवर्क विकसित करने की कार्ययोजना पर काम कर रहा है. वर्ष 2025 तक कुल मांग 31500 MW होने की उम्मीद है. इसके सापेक्ष आवश्यक पारेषण तंत्र के साथ ही कुल 198 नये पारेषण उपकेंद्र भी बनाये जाएंगे. साथ ही पारेषण क्षमता भी 32400 MW व आयात क्षमता 16000 MW तक बढ़ाई जाएगी.
उन्होंने ये भी निर्देश दिए कि ट्रांसमिशन लाइनों को बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कम से कम खेतिहर भूमि का अधिग्रहण हो. जिससे किसानों को समस्या न हो.
Source : News Nation Bureau