उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के छिबरामऊ थाना क्षेत्र के चिलोई गांव के निकट एक निजी स्लीपर बस और ट्रक की टक्कर के बाद लगी भीषण आग में लगभग 20 लोगों के मारे जाने की आशंका है. अब इस मामले में एक नया खुलासा हो रहा है. बताया जा रहा है कि जिस विमल चतुर्वेदी की यह बस कंपनी है उसी कंपनी की एक दूसरी बस का कुछ दिनों पहले एक्सीडेंट हुआ था. जिसमें 17 लोगों की जान चली गई थी. बताया जा रहा है कि 12 जून को मैनपुरी में भी बस पलटी थी.
जिसमें 17 लोगों की मौत के बाद पुलिस और प्रशासन के अफसरों ने जबरदस्त अभियान चलाया था. लेकिन बाद में नरमी बरतनी शुरु कर दी थी. प्रशासन के आलस का नतीजा ये हुआ कि डग्गामार वाहनों के संचालक बेलगाम हो गए और फिर से धड़ल्ले से सवारियां भरने लगे. घटना के बाद पुलिस ने बस के संचालक विमल की तलाश में छापेमारी भी की थी. लेकिन बाद में यह पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
बताया जा रहा है कि विमल चतुर्वेदी के पास करीब 40 बसें हैं. ये बसें जयपुर और दिल्ली रोड पर चलती हैं. क्षेत्रीय अखबारों की रिपोर्ट है कि बस संचालक की जिम्मेदार अफसरों के बीच अच्छी पकड़ है. जिसके चलते उसकी बसों को पकड़ा नहीं जाता. अगर मैनपुरी में हुई घटना के बाद प्रशासन सख्त हो जाता तो शायद कन्नौज की घटना न होती.
अवैध तरीके से चल रहा धंधा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस और परिवहन विभाग की मिलीभगत से अवैध बसों का संचालन किया जा रहा है. फर्रुखाबाद से जयपुर-दिल्ली के बीच डबल डेकर बसें संचालित की जाती हैं. रोडवेज बस अड्डे के पास ही इन बसों में सवारियां भरी जाती हैं. इन बसों को न तो पुलिस रोकती है और न ही परिवहन विभाग.
कई बार डग्गामार वाहनों के हादसे के बाद भी प्रशासन अपनी कुंभकर्णी नींद से नहीं जागा. तत्कालीन डीएम प्रकाश बिंदु ने एक बार बसों के संचालन पर शिकंजा करते हुए उन्होंने रोडवेज के पास से सभी बसों का अवैध संचालन हटवा दिया था. लेकिन उनके तबादले के बाद फिर से बसों का संचालन शुरु हो गया.
Source : Yogendra Mishra