गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी को इस साल मार्च में पंजाब की रूपनगर जेल से मोहाली कोर्ट ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एम्बुलेंस के पंजीकरण के मामले में एक परिवहन अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है. परिवहन कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि बाराबंकी के तत्कालीन सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (एआरटीओ) राजेश्वर यादव फर्जी एम्बुलेंस कागजात मामले में अपनी कथित भूमिका को लेकर कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. यादव वर्तमान में बलिया में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में तैनात हैं. अतिरिक्त जिलाधिकारी राम आसरे ने विकास की पुष्टि की.
यूपी पुलिस ने बनाई थी सिट
मामले की जांच के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था, जिसे बाराबंकी में दर्ज किया गया क्योंकि यूपी पंजीकरण संख्या वाली एम्बुलेंस के दस्तावेज फर्जी पाए गए थे. उत्तर प्रदेश में कई मामलों में वांछित मऊ से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक अंसारी को 2019 के कथित जबरन वसूली मामले में 31 मार्च को मोहाली की अदालत में पेश किया गया था. अंसारी अभी उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद है.
यह था एम्बुलेंस प्रकरण
दरअसल जबरदस्ती वसूली के मामले में बसपा विधायक मुख्तार अंसारी को 31 मार्च को पंजाब के मोहाली में कोर्ट में पेश किया गया था. कोर्ट तक अंसारी को लाने के लिए जिस एम्बुलेंस का प्रयोग किया गया था, उस पर यूपी के बाराबंकी की नंबर प्लेट लगी थी. जब पुलिस ने इस मामले की जांच की तो उसमें निकलकर आया कि मऊ के श्याम संजीवनी अस्पताल की संचालिका अलका राय और उनके कुछ सहयोगियों ने साल 2013 में इस एम्बुलेंस का फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीकरण कराया है. उस समय यानि 2013 में राजेश्वर यादव ही बाराबंकी के संभागीय परिवहन अधिकारी थे. इस मामले में बाराबंकी थाने में मामला दर्ज किया गया, जिसमें मुख्तार अंसारी को साजिश और जालसाजी का आरोपी बनाया गया था. बाराबंकी पुलिस का कहना है कि डॉक्टर अलका राय, उनके सहयोगी डॉक्टर शेषनाथ राय, मुख्तार अंसारी, मुजाहिद, राजनाथ यादव और अन्य सहयोगियों ने आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ही एम्बुलेंस के पंजीकरण के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे.
HIGHLIGHTS
- एम्बुलेंस मामले में परिवहन अधिकारी निलंबित
- फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कराया पंजीकरण
- अंसारी अभी उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद है