उत्तर प्रदेश एटीएस ने कथित तौर पर 1000 से ज्यादा लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने के आरोप में दिल्ली से दो लोगों को गिरफ्तार किया है. उमर गौतम और जहांगीर नाम के इन दोनों आरोपियों ने कथित तौर पर लगभग 1000 गैर-मुसलमानों को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए मजबूर किया था. एक आरोपी ने खुलासा किया कि वह जामिया नगर के बटाला हाउस का रहने वाला है और उसने खुद धर्म परिवर्तन किया है. आरोपी उमर गौतम मूल रूप से फतेहपुर जिले के थरियांव थाना क्षेत्र के पंथुवा गांव का रहने वाला है. गिरफ्तारी की खबर के बाद आरोपी के गांव में हड़कंप मच गया. पुलिस उमर के गांव पहुंच गई है, जहां उन्होंने जांच भी शुरू कर दी है.
पुलिस ने आरोपी उमर के चेचरे भाई राजू सिंह से पूछताछ की है. इसके मुताबिक, आरोपी उमर गौतम ने गांव में ही रहकर हाई स्कूल तक की पढ़ाई की थी. इसके बाद उमर शहर छोड़कर उत्तराखंड के पंतनगर चला गया. फिर बाद में दिल्ली रहने लगा. सन 1982 में उमर वापस अपने पैतृक गांव पंथुआ आया और गाजीपुर थाना क्षेत्र के खेसहन गांव में छत्रपाल सिंह की बेटी राजेश कुमारी से शादी करने के कुछ दिन बाद ही पत्नी को लेकर वापस दिल्ली चला गया. एक साल बीतने के बाद जब उमर गौतम उर्फ श्याम प्रताप सिंह द्वारा धर्म परिवर्तन करने की जानकारी उसके परिवार वालों को हुई तो वह उससे बहुत नाराज हुए. इसके बाद से उमर साल दो साल में अक्सर गांव आता-जाता रहा, लेकिन उससे ज्यादा कोई लगाव व बातचीत नहीं करता था. उसके धर्म परिवर्तन से परिवार के अलावा गांव का राजपूत समाज भी बहुत खफा था.
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ऐसे चलता था धर्म परिवर्तन का रैकेट
यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने सोमवार को यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि राज्य में एक रैकेट चल रहा है, जो लोगों को इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर कर रहा है. कुमार ने इसकी पुष्टि की है कि अब तक लगभग 1000 लोगों ने अपना धर्म परिवर्तित कर लिया है.
एडीजी ने आगे कहा कि ये दोनों लोग गरीब परिवारों, बेरोजगार युवाओं और विकलांगों को निशाना बनाते थे, खासकर जो सुनने और बोलने में अक्षम थे, उनको अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर करते थे. पुलिस के मुताबिक पैसे और आर्थिक स्थिरता के लिए लोगों को धर्म परिवर्तन का लालच दिया गया.
उत्तर प्रदेश एडीजी ने यह भी कहा कि यह धर्म परिवर्तन के लिए आईएसआई से फंडिंग का मामला हो सकता है. प्रशांत कुमार ने यह भी कहा कि कई महिलाओं को अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर किया गया और उनकी शादी कर दी गई. उन्होंने कहा कि यह रैकेट नोएडा, कानपुर और मथुरा में चल रहा था.
आरोपी 'इस्लामिक दावा सेंटर' नाम से एक सेंटर चलाते थे, जिसे दुनिया भर से फंडिंग मिलती थी. पुलिस उन लोगों को भी ट्रैक कर रही है जो इस रैकेट में फंस गए थे और यह समझने के लिए आगे की जांच कर रही है कि उन्होंने लोगों को कैसे प्रभावित किया.