Pilibhit Fake Encounter Case 1991 : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने 1991 पीलीभीत फेक एनकाउंटर मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. इस मामले में HC ने एक साथ 43 पुलिसवालों को सात साल की सजा सुनाई है. अदालत ने सभी दोषियों को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को सश्रम कारावास में बदल दिया है. जुलाई 1991 में तीर्थयात्रा के लिए जा रहे 10 सिखों को आतंकवादी बताते हुए बस से उतर कर मार दिया गया था.
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पीलीभीत फर्जी मुठभेड़ केस में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक साथ 43 पुलिसकर्मियों को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को 7 साल की कैद में बदल दिया है और सभी दोषियों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. 1991 में पुलिस वालों ने तीर्थयात्रा पर जा रहे 10 सिखों को आतंकी बताकर पहले बस से उतारा और फिर सभी की हत्या कर दी थी. पुलिस का दावा था कि मारे गए सभी लोग खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट से जुड़े थे. कोर्ट ने कहा कि कानून की ताकत का गलत इस्तेमाल किया गया.
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इस मामले में 2016 में सीबीआई हत्या अपहरण और षड्यंत्र समेत अन्य धाराओं में आरोपियों को सजा सुना चुकी है. हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील की गई थी. हाईकोर्ट में पुलिस की सेल्फ डिफेंस में सिखों को मारने की दलील को खारिज कर दिया गया था. पुलिसकर्मियों को 7 साल की कठोर सजा और 10-10 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई. कोर्ट ने सभी पुलिसवालों को गैर इरादतन हत्या का दोषी बताया है.
HIGHLIGHTS
- 1991 पीलीभीत फेक एनकाउंटर मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
- कोर्ट ने सभी आरोपियों को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया है
- सभी दोषियों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है
Source : News Nation Bureau