Varanasi में 9 साल का बच्चा बना IPS, ऐसे पूरा हुआ जीवन का अधूरा सपना

Varanasi: 9 साल का प्रभात रजंन भारती जो इस समय वाराणसी के एडीजी की भूमिका में पूरी वर्दी के साथ बैठे हैं, अपने अधीनस्थ अधिकारियो की सलामी ले रहे हैं.  बैठक कर रहे हैं और पुलिस जीप में निरीक्षण भी कर रहे हैं.

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Mohit Sharma
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Varanasi

Varanasi( Photo Credit : File Pic)

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Varanasi: वाराणसी में इन दिंनो 9 साल का आईपीएस अधिकारी सुर्खियों में है. प्रभात राजन भारती नाम का बच्चा बाकायदा ऑफिस में काम करते हुए अधिकारियो के साथ बैठक करते हुए और निरिक्षण करते हुए बा वर्दी नजर आया. दरअसल इसके बाद ये पता चला की ये सब कुछ उस 9 साल के बच्चे के विश पूरी करने के लिए किया गया. क्योंकि उसे कैंसर जैसी असाध्य बीमारी है और वो शायद अपनी जिंदगी ही पूरी न कर पाए.  इससे पहले उसकी ये हसरत मेक ऐ विश फाउंडेशन आफ इंडिया के जरिये पूरी की गई. ये फाउंडेसन अब तक ऐसे 90 हजार बच्चों की हसरत पूरी कर चुका है, जो की ऐसे गंभीर रोगों से ग्रसित हैं. इस रिपोर्ट के जरिये हम आपको बताएंगे कि जिन बच्चों की जिंदगी भले ही पूरी न हो पायेगी पर उनके सपने कैसे पुरे हो सकते है.

9 साल का प्रभात रजंन भारती जो इस समय वाराणसी के एडीजी की भूमिका में पूरी वर्दी के साथ बैठे हैं, अपने अधीनस्थ अधिकारियो की सलामी ले रहे हैं.  बैठक कर रहे हैं और पुलिस जीप में निरीक्षण भी कर रहे हैं. दरअसल, इस 9 साल के प्रभात रंजन भारती को कैंसर है. शायद ये अपनी जिंन्दगी पूरी न कर पाए पर. इससे इसके इस सपने को मेक ऐ विश फाउंडेशन आफ इंडिया ने पूरा किया. दरअसल ये ऐसा फाउंडेशन है, जो गंभीर से गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों के सपनों को पूरा करता है. चाहे वो सपना कुछ पाने का, कहीं घूमने का हो, किसी सेलिब्रेटी से मिलने का हो या फिर कुछ बनने का. इसी कड़ी में अभी तक वाराणसी में चार बच्चे आईपीएस की वर्दी पहनकर एक दिन का आईपीएस बन चुके हैं. कैसे ये मुमकिन होता है और ये फाउंडेशन किस तरह बिना किसी आर्थिक मदद के बच्चों के सपने पूरी करती है. अब तक ये 90 हजार बच्चों के सपने पूरे कर चुके हैं और साल 2025 एक लाख बच्चों के सपने पूरे करने का लक्ष्य है. इसके बारे में हमने इस फाउंडेशन के लोगों से बात की.

जब हम यहाँ थे तब एक 13 साल का बच्चा जो ब्लड कैंसर से पीड़ित है और वो भी अपनी हसरत लेकर आया हुआ था. कृशु माथुर ये नन्हा कलाकार है. बहुत अच्छी ड्रॉइंग करता है और इसे स्केटिंग का शौक है. ये स्केट पाने की अपने सपने को लेकर यहाँ आया हुआ था. साथ में उनके पिता भी थे जो एक प्राइवेट संस्थान में नौकरी करते हैं. उन्हें देख कर ही भरसक पता चल रहा था कि अपने बेटे की बीमारी ठीक करने के लिए ही वो अपने -आप को खपा रहे हैं. ऐसे में वो अपने बच्चे के शौक को कैसे पूरा करते पर बच्चा- तो- बच्चा है. वो अपने स्केटिंग के शौक को पूरा करने अपने पिता के साथ यहाँ पंहुचा हुआ था.

9 साल का वो बच्चा जो एडीजी की कुर्सी पर एक दिन नायक बना था. उसके बारे में पुलिस के अधिकारी बताते हैं कि प्रभात रंजन भारती के इस सपने को पूरा होने के बाद वो अपने आप को अपने सपने के किरदार में पाकर बेहद खुश था. उसकी इस ख़ुशी में पूरा पुलिस विभाग भी शामिल हुआ. 

Source : News Nation Bureau

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