यूपी विधानसभा चुनाव परिणाम 2017: बीजेपी की बंपर जीत, ब्रांड मोदी का तिलिस्म बरकरार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर से 'ब्रांड मोदी' की लोकप्रियता को साबित कर दिया है। बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती नरेंद्र मोदी की 'इमेज' को बनाए रखने की थी।

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Jeevan Prakash
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यूपी विधानसभा चुनाव परिणाम 2017: बीजेपी की बंपर जीत, ब्रांड मोदी का तिलिस्म बरकरार

फाइल फोटो

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर से 'ब्रांड मोदी' की लोकप्रियता को साबित कर दिया है। बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती नरेंद्र मोदी की 'इमेज' को बनाए रखने की थी।

इसके बावजूद पार्टी ने जोखिम उठाते हुए बेहद सोच-समझकर उत्तर प्रदेश के समीकरण को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना नरेंद्र मोदी को मुख्य चेहरा बनाकर पेश किया। इसके पीछे पार्टी की रणनीति जटिल जातीय समीकरण वाले उत्तर प्रदेश में आंतरिक गुटबाजी से बचने की थी और यह रणनीति काम कर गई।

मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने की स्थिति में पार्टी में कई गुट बनने की संभावना थी, जिसकी संभावना नरेंद्र मोदी को पार्टी का मुख्य चेहरा बनाकर खत्म कर दिया गया।
सबसे अहम बीजेपी ने उत्तर प्रदेश चुनाव में उन्हीं मुद्दों को हवा दी, जिसका श्रेय सीधे-सीधे प्रधानमंत्री मोदी को मिला था। मसलन पार्टी ने नोटबंदी और पाकिस्तान की सीमा में घुसकर किए गए भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक स्ट्राइक को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया।

दोनों ही फैसलों के लिए बीजेपी ने प्रधानमंत्री को सीधा श्रेय दिया था और मोदी ने लगभग हर चुनावी कार्यक्रम में इन दोनों को मुद्दा बनाकर सपा-कांग्रेस और बसपा को घेरा। यूपी चुनाव के नतीजों के बाद कह सकते हैं कि मोदी और बीजेपी की रणनीति काम कर गई।

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इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के समीकरण को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने अलग-अलग रणनीति पर काम किया।

मुजफ्फरनगर दंगों के बाद सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में मोदी ने ध्रुवीकरण के साथ-साथ गन्ना किसानों के भुगतान का मुद्दा उठाया तो बुंदेलखंड में विकास के मसले को हवा दी। इसके अलावा 100 से अधिक सीटों वाले पूर्वांचल में प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव के आखिरी दो दिन वाराणसी में लगातार रोड शो किए।

वाराणसी को पूर्वांचल की राजधानी माना जाता है और यह प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है। पार्टी की पूरी रणनीति पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़त बनाने के साथ पूर्वांचल में उस बढ़त को बनाए रखने की थी।

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बीजेपी ने इसी रणनीति के तहत प्रधानमंत्री मोदी को वाराणसी में उतारा। मोदी के साथ बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह और कैबिनेट के दो दर्जन से अधिक मंत्रियों ने वाराणसी में कैंप किया।

मोदी ने वाराणसी में दो दिनों तक लगातार रोड शो किया, जिसकी जबरदस्त आलोचना भी हुई। लेकिन चुनाव नतीजों को देखकर कहा जा सकता है कि मोदी की रणनीति पूरी तरह सफल रही।

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चुनाव के नतीजों के बाद कहा जा सकता है कि बिहार में स्थानीय चेहरों को नजरअंदाज कर की गई गलती को उत्तर प्रदेश में पार्टी ने मोदी को आगे बढ़ाकर सुधार लिया। नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक का पोस्टर ब्वॉय बनाकर बीजेपी बिहार की गलती को उत्तर प्रदेश में सुधारने में सफल रही। 

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के दम पर लगातार कमजोर होते संगठन में जान फूंकने में सफल रही है और इसमें पार्टी को प्रधानमंत्री मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों से जोरदार मदद मिली।

मोदी ने अपनी रैलियों में समाजवादी पार्टी के सरकार पर जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया। ऐसा लगता है कि मोदी के इन आरोपों पर लोगों ने भरोसा दिखाया।

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मोदी ने हरदोई की रैली में श्मशान और कब्रिस्तान को लेकर विवादित बयान देते हुए कहा था, 'गांव में अगर कब्रिस्तान बनता है तो श्मशान भी बनना चाहिए, अगर रमजान में बिजली रहती है तो दिवाली में भी बिजली आनी चाहिए।'

मोदी कैंपेन की शुरुआत से ही अखिलेश पर हमलावर रहे। अखिलेश सरकार के 'काम बोलता है' कैंपेन पर हमला करते हुए मोदी ने कहा था कि यूपी में 'अखिलेश काम नहीं कारनाम बोलता है।' इतना ही नहीं उन्होंने उत्तर प्रदेश के अखिलेश सरकार को निशाने पर लेते हुए यहां तक कहा कि उनके राज्य में सूबे का पुलिस थाना पार्टी का कार्यालय में बदल चुका है।

चुनाव की शुरुआत से ही बीजेपी, सपा को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानकर चल रही थी और इसी रणनीति के तहत मोदी ने अपनी चुनावी रैलियों में सपा और फिर गठबंधन होने के बाद सपा-कांग्रेस को निशाना बनाया।

मोदी ब्रांड

नोटबंदी के फैसले का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री मोदी ने खुद लिया था। नोटबंदी के बाद हुए पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव खासकर उत्तर प्रदेश चुनाव को इस फैसले पर जनमत संग्रह की तरह देखा जा रहा था, जिसमें पार्टी कामयाब रही है।

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हालांकि इससे पहले हुए कई स्थानीय चुनावों में पार्टी को जीत मिली थी लेकिन पीएम मोदी की सक्रियता को देखते हुए उत्तर प्रदेश का चुनाव सबसे अहम माना जा रहा था।

दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद मोदी लहर को बड़ा झटका लगा था। हालांकि इसके बाद पार्टी असम, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में सरकार बनाने में सफल रही लेकिन इन सभी राज्यों में मोदी की सक्रियता उतनी नहीं रही, जितना की यूपी में। यूपी चुनाव के नतीजों ने 'मोदी ब्रांड' को हुए नुकसान की भरपाई कर दी है।

Source : Jeevan Prakash

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