उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में कर्मचारियों के हित में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया है. इस प्रस्ताव के तहत, अगर कोई सरकारी कर्मचारी अपने सेवानिवृत्ति लाभों के लिए किसी को नॉमिनी बनाता है, तो उस नॉमिनी को कर्मचारी की मृत्यु के बाद सभी लाभ पाने का अधिकार होगा. यह निर्णय मई 2024 में लिया गया था और अब कैबिनेट ने इस पर औपचारिक मुहर लगा दी है.
कैबिनेट बैठक में प्रस्तावों की मंजूरी
यह फैसला एक अदालत के आदेश के तहत लिया गया है, जिसमें कहा गया था कि कर्मचारी अपने परिवार के बाहर भी किसी को अपने रिटायरमेंट बेनेफिट का लाभार्थी बना सकता है. पहले के नियमों के अनुसार, यदि परिवार में विवाद होता था, तो पीएफ और अन्य रिटायरमेंट लाभ सरकारी खजाने में जमा कर दिए जाते थे. यह नई नीति कर्मचारियों को अपने लाभ के वितरण में अधिक स्वतंत्रता प्रदान करेगी.
बैठक में अन्य प्रस्तावों पर चर्चा
सोमवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कुल 28 प्रस्ताव पेश किए गए, जिनमें से 27 को मंजूरी दी गई. इस बैठक में नई शीरा नीति, पशु नीति और स्टांप एवं रजिस्ट्री नीति से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने शीरा नीति से संबंधित जानकारी साझा की.
शिक्षकों के स्थानांतरण नीति में बदलाव
मंत्रिपरिषद की बैठक में माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों के स्थानांतरण नीति में बदलाव पर भी चर्चा हुई. इसके तहत शिक्षकों को ट्रांसफर के लिए अब पांच साल की बजाय तीन साल का समय दिया जाएगा. यह निर्णय महिलाओं और दिव्यांगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.
सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए नई राहत
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश रिटायरमेंट बेनिफिट रूल्स 1961 में संशोधन का प्रस्ताव भी मंजूर किया गया है. अब यदि कोई सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद अपने नॉमिनी या वारिस को नहीं छोड़ता है, तो उसकी ग्रेच्युटी का पैसा सरकार को नहीं समाहित किया जाएगा. इसके बजाय, सक्षम न्यायालय से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर यह राशि संबंधित व्यक्ति को दे दी जाएगी.