Varanasi News: विश्व वैदिक सनातन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सिंह ने वाराणसी की अदालत में कृतिवासेश्वर मंदिर को लेकर एक याचिका दायर की है. इस याचिका में उन्होंने मंदिर के ऐतिहासिक महत्व और मुगल आक्रमणकारी औरंगजेब द्वारा इसे ध्वस्त करने के मुद्दे को उठाया है.
आपको बता दें कि संतोष सिंह के अनुसार, जब औरंगजेब ने काशी पर हमला किया था, तो सबसे पहले उसने कृतिवासेश्वर मंदिर को नष्ट किया था. इसके बाद, काशी विश्वनाथ और बिंदु माधव मंदिर को भी ध्वस्त किया गया. उनका दावा है कि कृतिवासेश्वर मंदिर के स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण किया गया था, जो आज भी वहां मौजूद है. इस संदर्भ में संतोष सिंह और विश्व वैदिक सनातन संघ ने अदालत से गुहार लगाई है कि कृतिवासेश्वर मंदिर परिसर को हिंदुओं को सौंपा जाए ताकि वहां एक भव्य मंदिर का निर्माण हो सके.
#WATCH | Varanasi: National president of Vishwa Vedic Sanatan Sangh, Santosh Singh has filed a petition in the Varanasi court regarding the Krittivaseshwar Temple.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 7, 2024
Petitioner and National President of Vishwa Vedic Sanatan Sangh, Santosh Singh says, "When Aurangzeb attacked Kashi… pic.twitter.com/AqcPzPoXqF
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मंदिर स्थल पर मंदिर के चिन्हों की उपस्थिति
साथ ही आपको बता दें कि इसको लेकर संतोष सिंह का कहना है कि वर्तमान मस्जिद में आज भी कुछ संकेत मिलते हैं जो उस प्राचीन मंदिर के अस्तित्व की पुष्टि करते हैं. उन्होंने कहा कि मस्जिद के अंदर मंदिर के चिंह जैसे कमल और स्वास्तिक के निशान स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं. यह सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह स्थान पहले एक हिंदू मंदिर था, जिसे जबरन मस्जिद में तब्दील कर दिया गया.
याचिका में प्रमुख मांगें
वहीं आपको बता दें कि संतोष सिंह ने अपनी याचिका में अदालत से यह मांग की है कि इस पूरे स्थल को हिंदुओं को सौंपा जाए और गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई जाए. उनके अनुसार, इस कदम से कृतिवासेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण किया जा सकेगा, जिससे यह स्थल अपने प्राचीन गौरव को प्राप्त कर सकेगा. उनके विचार में यह केवल धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का भी मुद्दा है, क्योंकि यह स्थल हिंदू आस्था और इतिहास का प्रतीक है.
इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक प्रभाव
इसके अलावा आपको बता दें कि इस याचिका का धार्मिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर गहरा असर हो सकता है. यह मुद्दा वाराणसी जैसे पवित्र शहर में धार्मिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकता है, जहां पहले से ही काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद चल रहा है. यदि अदालत इस याचिका को मान्यता देती है, तो इससे अन्य विवादित धार्मिक स्थलों पर भी ऐसी मांगें उठ सकती हैं. बहरहाल, संतोष सिंह का यह कदम हिंदू समुदाय के लिए सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक माना जा रहा है, लेकिन इसका परिणाम क्या होगा, ये अदालत के निर्णय पर निर्भर करेगा.