उत्तर प्रदेश के चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले हैं। बीजेपी की इतनी बड़ी जीत और सत्तासीन समाजवादी पार्टी की करारी हार से साबित हो रहा है कि अखिलेश यादव के सारे दावे खोखले साबित हुए हैं। लेकिन सरकार के काम से इतर पार्टी और परिवार में बागडोर को लेकर झगड़े ने भी एक बड़ी भूमिका निभाई है।
राज्य में विकास के दावे और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर युवा चेहरों के बादजूद हुई हार के लिये परिवार का झगड़ा और मुलायम को हाशिये पर धकेल देने को भी जिम्मेदार माना जा रहा है।
मुलायम परिवार में चुनाव की घोषणा से पहले जिस तरह पार्टी पर नियंत्रण की लड़ाई के कारण राज्य में जनता के बीच गलत संदेश गया है। चाचा शिवपाल की अनदेखी की गई जिसके कारण सपा के कार्यकर्ताओं में असंतोष था।
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इतना ही नहीं अपने पिता मुलायम से भी जिस तरह राजनीतिक रस्साकशी चली उससे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में भ्रम भी पैदा हुआ।
बेटे से नाराज मुलायम ने अखिलेश के पक्ष में चुनाव प्रचार करने से इनकार कर दिया और साथ ही उन्हें मुस्लिम विरोधी भी बता दिया। बेटे और पिता की लड़ाई के बीच राज्य में अखिलेश का कार्यकाल काम से ज्यादा लड़ाई के लिये प्रसिद्ध होने लगा।
अखिलेश राज्य के चुनाव में अकेले दम पर कूद गए और बेटे से नाराज़ मुलायम सिंह ने अपनी छोटी बहु अपर्णा यादव के अलावा किसी भी उम्मीदवार के लिए रैली नहीं की। शिवपाल यादव भी बस जसवंतनगर के बाहर नहीं गए।
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मुलायम-शिवपाल की जोड़ी वह जोड़ी है जिसने यूपी की सत्ता से कांग्रेस और बीजेपी को बाहर कर समाजवादी का परचम लहराया। लेकिन पूरे चुनाव में मुलायम-शिवपाल घर में बैठे रहे।
चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से गठबंधन कर न चाहते हुए भी उसको 105 सीटें देनी पड़ी। इसके लेकर भी मुलायम ने नाराजगी जताई थी। इस गठबंधन को लेकर भी कार्यकर्ताओं में उहापोह की स्थिति रही।
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इन सब के बीच बीजेपी लगातार सपा में चल रहे द्वंद को लेकर निशाना साधती रही। झगड़ों के बीच भाजपा ने विकास, भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाकर जनता को लुभा लिया। नोटबंदी को देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई है ये जनता को समझाने में सफल रही है।
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पहले से ही भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था को लेकर घिरे अखिलेश ने शिवपाल के साथ झगड़े में अपने ही मंत्रियों और नेताओं की गलतियां भी लोगों के सामने रखीं।
इसका परिणाम ये हुआ कि सरकार के प्रति लोगों में पहले से ही खराब रही छवि और खराब हो गई।
परिवार के झगड़ों के कारण ही राज्य विधानसभा के चुनाव में दूसरे सभी कारणों के साथ ही पारिवारिक झगड़े को भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
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Source : Pradeep Tripathi