जहां आज के दिन करवा चौथ के अवसर पर सभी विवाहित महिलाएं पूरे दिन व्रत रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं, वहीं मथुरा के विजौ गांव की महिलाएं इस दिन व्रत रखने से परहेज करती हैं ताकि उनके पतियों की जान खतरे में न पड़ जाए. गांव के रहने वाले किशोरी लाल चतुर्वेदी कहते हैं, "पिछले दो सौ सालों से यह गांव एक श्राप के घेरे में है और इसके चलते अगर करवा चौथ के मौके पर कोई औरत व्रत रहती है तो उसके पति की जान चली जाती है. यह एक ब्राह्मण महिला का श्राप है जिसे करवा चौथ के ही दिन गांव वालों ने पीट-पीटकर मौत के हवाले कर दिया था."
यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि एक नवविवाहित ब्राह्मण जोड़ा करवा चौथ के दिन विजौ गांव से गुजर रहा था. कुछ स्थानीय लोगों ने उस ब्राह्मण पर उनकी बैलों को चुराने का आरोप लगाया और उसकी पत्नी के सामने ही उसे बुरी तरह से पीटकर मार डाला. उस ब्राह्मण पत्नी ने तब गांव की औरतों को श्राप दिया था कि अब करवा चौथ उनके पतियों की मौत का सबब बनेगी. इसके बाद वह औरत अपने पति की ही चिता पर कूदकर सती हो गई.
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चतुर्वेदी ने कहा, "उस दिन से गांव की औरतें करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं, लेकिन यहां स्थित सती मंदिर में पूजा-अर्चना करती हैं. यहां तक कि शादी से पहले पुरूष भी यहां आकर प्रार्थना करते हैं." यहां की औरतें गांव से सिंदूर तक नहीं खरीदती हैं, वे अपने मायके से लाए गए सिंदूर का ही उपयोग करती हैं. एक बार, जब कुछ औरतों ने इस प्रथा को तोड़ते हुए करवा चौथ के दिन व्रत रखा, उनके पतियों की मौत रहस्यमयी ढंग से हो गई.
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HIGHLIGHTS
- मथुरा के विजौ गांव में नहीं मनाया जाता करवा चौथ
- यहां करवा चौथ व्रत रहने पर चली जाती है पति की जान
- ब्राम्हाण महिला के श्राप की वजह से नहीं मनाते करवा चौथ