इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने गायत्री प्रजापति की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है. गायत्री प्रसाद प्रजापति को तीन महीने की राहत दी गई है. पांच लाख के पर्सनल बांड और दो जमानतदारों की शर्त के साथ गायत्री को जमानत दी है. इस दौरान गायत्री प्रजापति देश छोड़कर कहीं भी बाहर नहीं जा सकेंगे.
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गौरतलब है कि दुष्कर्म के मामले में गायत्री प्रसाद प्रजापति लखनऊ जेल में बंद हैं. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अंतरिम जमानत अर्जी दाखिल की थी. अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे सामूहिक दुष्कर्म के आरोपी गायत्री प्रसाद प्रजापति को कोर्ट ने पांच लाख रुपया के पर्सनल बांड तथा दो जमानतदारों की शर्त के साथ जमानत दी है. पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति ने देश में कोविड-19 का हवाला देकर जमानत मांगी थी. फिलहाल गायत्री प्रजापति का कानपुर के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में इलाज चल रहा है. इससे पहले भी गायत्री प्रजापति ने जमानत के लिए याचिका डाली थी लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया था. कोर्ट के ही आदेश पर प्रजापति का केजीएमयू में इलाज हो रहा है. अब इस बार प्रजापति ने दलील दी है कि केजीएमयू के जिस विभाग में वह भर्ती है वहां उसे कोरोनावायरस से संक्रमण का खतरा है क्योंकि यह वार्ड कोरोना वार्ड के पास है.
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इस पर कोर्ट से गायत्री के वकील एसके सिंह ने केजीएमयू की ही रिपेार्ट का हवाला देकर कहा कि इसमें तो साफ लिखा है कि केजीएमूय में मरीजों का कोरोनावायरस का खतरा अधिक है। इस पर कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकारी वकील को पूरी स्थिति साफ करने का आदेश दे दिया. अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति के खिलाफ 2017 में सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज हुआ था. केस में तीन जून, 2017 को गायत्री के अलावा छह अन्य पर चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिसके बाद 18 जुलाई, 2017 को लखनऊ की पॉक्सो स्पेशल कोर्ट ने सातों आरोपियों पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया था.
Source : News Nation Bureau