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UP के 60 हजार कर्मचारियों की अटक सकती है सैलेरी, जल्दी से दें ये जानकारी

यूपी के 60 हजार कर्मचारियों की सैलेरी रूक सकती है. अगर उन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा आज दोपहर तीन बजे तक नहीं दिया. सरकार की तरफ से यह चेतावनी जारी की जा चुकी है.

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Vineeta Kumari
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UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले महीने एक आदेश जारी किया था, जिसके अनुसार राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को 31 अगस्त तक अपनी सैलरी का ब्यौरा देने को कहा गया था. हालांकि सरकारी आदेश के बाद भी भारी संख्या में कर्मचारियों व अधिकारियों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा 31 अगस्त तक जमा नहीं किया. जिसके बाद सख्त कदम उठाते हुए सभी की सैलेरी होल्ड पर हो गई थी.

संपत्ति का ब्यौरा देने का आखिरी दिन

हालांकि बाद में कर्मचारी संगठनों की अपील के बाद सैलेरी जारी करते हुए सभी सरकारी कर्मचारियों को 1 महीने का अतिरिक्त समय दिया गया था. अपनी संपत्ति का ब्यौरा दाखिल करने का आज आखिरी दिन है. अगर सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों ने दोपहर तीन बजे तक अपनी संपत्ति का ब्यौरा पोर्टल पर अपडेट नहीं किया तो उनकी सैलेरी रोक दी जाएगी. बता दें कि इसी साल यूपी के मुख्य सचिव मनोज सिंह ने यह आदेश जुलाई में जारी किया था. 

60 हजार कर्मचारियों की रोक दी जाएगी सैलेरी

मिली जानकारी के अनुसार, सरकार की तरफ से 20 लाख कर्मचारियों व अधिकारियों की संपत्ति का विवरण मांगा गया था, लेकिन अब तक 60 हजार कर्मचारियों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा पोर्टल पर अपडेट नहीं किया है. आज इसका आखिरी दिन है. जो भी कर्मचारी आज अपनी सैलेरी का ब्यौरा नहीं देते हैं, उनकी सैलेरी रोक दी जाएगी.

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मानव संपदा पोर्टल पर डालें संपत्ति का ब्यौरा

इसके लिए सभी कर्मचारियों को मानव संपदा पोर्टल पर जाना है और अपनी संपत्ति का ब्यौरा डालना है. इन सरकारी विभागों में कृषि व महिला कल्याण विभाग, टेक्सटाइल, बेसिक शिक्षा, चिकित्सा विभाग, सैनिक कल्याण, राजस्व विभाग समेत अन्य विभाग भी शामिल हैं.

1 महीने का अतिरिक्त समय 

पहले 31 अगस्त को डेटा जमा करने की आखिरी तारीख थी, लेकिन सरकार ने पिछले महीने चेतावनी देते हुए सभी कर्मचारियों को अतिरिक्त एक महीने का समय दिया था. दरअसल, पिछले महीने सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए सभी कर्मचारियों की सैलेरी रोक दी थी, जिन्होंने पोर्टल पर अपनी संपत्ति का विवरण नहीं दिया था. इसे लेकर कर्मचारियों में हड़कंप मच गया था. जिसके बाद विभागों की ओर से आग्रह करने के बाद एक महीने का समय दिया गया था. 

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