उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) के विभिन्न जिलों में अब उन लोगों के घरों के बाहर पोस्टर (Poster) लगाना शुरू कर दिया है, जिनमें विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों को होम क्वारंटाइन में रखा गया है. होम क्वारंटाइन में रह रहे लोग प्रशासन के इस कदम से नाराज हैं, क्योंकि यह उन्हें कोरोना वाहक होने के 'सामाजिक कलंक' से जोड़ता है. आगरा मंडल के आयुक्त अनिल कुमार ने कहा कि संगरोध (क्वारंटाइन) पोस्टर पहले भी कुछ जिलों में लगाए गए थे, लेकिन बाद में हटा लिए गए. सरकार ने प्रवासियों की आमद के मद्देनजर अब इस आदेश को दोहराया है कि ऐसे घरों के बाहर क्वारंटाइन के पोस्टर लगाए जाने चाहिए.
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उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 मई के अपने आदेश में कहा था कि राज्य में सभी नए प्रवेशकों के घरों के बाहर संगरोध पोस्टर लगाए जाने चाहिए, जिनमें पिछले कुछ हफ्तों में वापस आए प्रवासी श्रमिक भी शामिल हैं. आगरा, अलीगढ़, बरेली, हापुड़, चित्रकूट, गाजीपुर, एटा, गोंडा, मथुरा, ललितपुर, वाराणसी और प्रतापगढ़ सहित कई जिलों ने पहले ही ऐसे अधिकांश घरों को कवर कर लिया है.
इस बीच एक विचित्र उदाहरण भी सामने आया है. अधिकारियों ने अयोध्या में एक प्रवासी श्रमिक की झोपड़ी के सामने लगे एक पेड़ पर क्वारंटाइन का नोटिस चिपकाया है, क्योंकि झोपड़ी में कोई दीवार ही नहीं थी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि दूरदराज के क्षेत्रों में सिस्टम मजबूत नहीं है और घर में क्वारंटाइन होने का सख्त पालन होना जरूरी है, तभी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सकेगा.
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मैनपुरी के जिला मजिस्ट्रेट महेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि एक दिन में 1,500 पोस्टर चिपकाए गए हैं और यह प्रक्रिया जारी है. उन्होंने आगे कहा कि अब तक लगभग 5,000 प्रवासी कामगार जिले में लौट आए हैं और सभी ग्राम पंचायतों को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है. उनके घरों में जहां वे क्वारंटाइन में रह रहे हैं, उन घरों को भी आसानी से पहचानने के लिए क्रॉस मार्क किया जाएगा.
अलीगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट चंद्र भूषण सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर इन पोस्टरों को चिपकाने में 100 प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. संबंधित ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता वाली ग्राम निगरानी समितियों को उन घरों की निगरानी का जिम्मा दिया गया है, जहां पर प्रवासी लौटे हैं. इसके अलावा स्वास्थ्य अधिकारी भी नियमित दौरा करेंगे. वहीं प्रवासी श्रमिक क्वारंटाइन के पोस्टरों को चिपकाने से नाराज हैं. सुल्तानपुर के महेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे साथ एक कलंक जुड़ गया है और हमें कोरोना वाहक के रूप में देखा जाता है. ये पोस्टर लगे होने से हमें अपराधियों की तरह महसूस कराया जा रहा है.
Source : News Nation Bureau